फिर दोनों हँस पड़ते हैं और एक दूसरे के कंधे मे हाथ डाल बाहर की ओर बढ़ चलते हैं...। फिर दोनों हँस पड़ते हैं और एक दूसरे के कंधे मे हाथ डाल बाहर की ओर बढ़ चलते हैं.....
लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : अलेक्सांद्र पूश्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
जी पढ़न के ना पै पता नी क्या गुल खिलारा यो लोंडा जी पढ़न के ना पै पता नी क्या गुल खिलारा यो लोंडा
अविचल सी सुषमा, अब भी मौन थी, गोया कि माँ को पहचान ही न रही हो। अविचल सी सुषमा, अब भी मौन थी, गोया कि माँ को पहचान ही न रही हो।
माँ , मैं तुम्हें अपना भगवान मानता हूँ , कोई भी भक्त भगवान से झूठ नहीं बोल सकता। माँ , मैं तुम्हें अपना भगवान मानता हूँ , कोई भी भक्त भगवान से झूठ नहीं बोल सकता।
यदि कोई हालात गंभीर हो तो अपने बड़ों से भी फोन करने में कतई नहीं घबराना चाहिए। यदि कोई हालात गंभीर हो तो अपने बड़ों से भी फोन करने में कतई नहीं घबराना चाहिए।