आप स्वयं ही बैल को निमंत्रण दे रहे हैं कि "आ बैल , मुझे मार आप स्वयं ही बैल को निमंत्रण दे रहे हैं कि "आ बैल , मुझे मार
हमारे समाज़ को किरण जैसी साहसी लड़कियों की ही जरूरत है। हमारे समाज़ को किरण जैसी साहसी लड़कियों की ही जरूरत है।
लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
लड़के हमेशा ही गलत हो ये ज़रूरी तो नहीं ,कभी कभी उनकी बात रुक कर सुन तो लीजिये ,,, लड़के हमेशा ही गलत हो ये ज़रूरी तो नहीं ,कभी कभी उनकी बात रुक कर सुन तो लीजिये ,,,
भावनाओं पर कोई नियंत्रण ही नहीं रख पाती । पर माँ की गलती है, कभी भी अचानक से मेरेकमरे में आ जाती है ... भावनाओं पर कोई नियंत्रण ही नहीं रख पाती । पर माँ की गलती है, कभी भी अचानक से मेर...