वाइट वाश
वाइट वाश
बीइंग सिंगल मैं पहले से ही ऑफिस की फाइनेंशियल ईयर एन्ड की आपाधापी में परेशान थी। ऊपर से घर का वाइट वाश !जैसे तैसे वाइट वाश का काम आगे बढ़ा। सारे कमरों के वाइट वाश के बाद किचन का नंबर आया।पुट्टी का काम जस्ट स्टार्ट ही हुआ की अचानक रूफ का एक पोर्शन गिर गया।मैं आलरेडी परेशान थी और अब ज्यादा परेशानी में घिर गयी।क्योंकि आनेवाला कल मंडे था और मुझे ऑफिस जाना जरूरी था।
गवर्नमेंट क्वार्टर वाले घर मे रहने के कारण ए. इ. को फोन करके कंप्लेंट देकर मिस्त्री को बुला लिया।मिस्त्री के साथ एक औरत भी आयी।फटाफट मिस्त्री ने अपना काम शुरू किया। थोड़ी ही देर के बाद मैं काम की प्रोग्रेस देखने वहाँ किचन में गयी।मिस्त्री अपना सीमेंट वाला काम कर रहा था और वह औरत नीचे बैठी हुयी थी।
मैंने कहा,"आप इधर इस स्टूल पर बैठिए।"उस के स्टूल पर बैठने के बाद मैं उससे बात करने लगी। कहाँ के हो और कब से काम करना शुरू किया टाइप के सवाल।
वह खुश होकर बताने लगी। हम वहाँ के है और यहाँ कुछ दिनों से काम करने लगे हैं वगैरह... उसने किसी जगह का नाम बताया।बीच बीच मे मिस्त्री के बुलाने पर वह जाती और काम करके वापिस आती।पूछने पर पता चला कि मिस्त्री उसका पति है।
मैंने अपना लॉजिक इस्तेमाल करते हुए कहा,"दिहाड़ी दोनो की बराबर तो नही होगी...."वह खुशी और किंचित गर्व से बताने लगी,"नही, उन्हें 600 रु मिलते है और मुझे 300 रु मिलते हैं ।"
उसका अपने पति के साथ कॉम्पलिमेंट करते हुए काम करना मेरे लिए सर्वथा नया अनुभव था।क्योंकि मैं अपने सोशल सर्कल और ऑफिस गॉसिप में न जाने कितनी ही शिकवे और शिकायतें सुनती रहती थी। घर बाहर की बातों में व्हाई मी? और व्हाई नॉट मी? जैसे सवाल और उनसे जूझते हुए जवाब होते थे....
मैं ठहरी एक पढ़ीलिखी कामकाजी महिला जो हर चीज अपने नज़रीये से देखती और सोचती भी है ...आज मिस्त्री और उसकी पत्नी के काम मे कोई भी व्हाई मी और व्हाई नॉट मी जैसे सवाल नही पाकर मुझे अचरज हो रहा था।।
मैं समझ गयी थी कि उनकी जिंदगी में ऐसी किसी बातों की गुंजाइश भी नही होती है शायद ....