उत्सव की स्मृति

उत्सव की स्मृति

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हमारा देश भारत उत्सवों का देश है। वर्ष में न जाने कितने उत्सव के अवसर आते है और ज्यूं-ज्यूं उम्र बढ़ती है, आपके पास यादों का खज़ाना भरने लगता है। कुछ स्मृतियां धुंधली पड़ जाती है। कुछ ताज़ी स्मृतियों में से एक है, हमारी ओड़िशा यात्रा।


कुछ वर्ष पूर्व हम पुरी, ओडिशा भ्रमण के लिए गए थे। पुरी की साफ - सुथरी सड़कें, सागर की लहरें और सबसे अच्छी कोणार्क तक शानदार मरीन ड्राइव, अनोखी यादगार है, जो सदा एक अनोखा आनंद देती है।

यहां का हस्तशिल्प लाज़वाब है।


ये घटना जो मेरी स्मृति में आज भी तरोताजा है वह है कोणार्क नृत्य महोत्सव। यह कोणार्क के सूर्य मंदिर की पृष्ठभूमि रुष्ठभूमि में प्रति वर्ष पांच दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। इसे राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रति वर्ष एक से पांच दिसंबर तक आयोजित किया जाता है। देश के विभिन्न राज्यों के कलाकारों द्वारा विभिन्न नृत्य प्रस्तुत किए जाते है। हर दिन दो अलग - अलग नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं।जिसमें एक देश-विदेश में प्रसिद्ध ओडिसी नृत्य होता है। इसके अलावा छाऊ नृत्य जिसकी भाव - भंगिमा अपनी एक अलग ही पहचान है और मणिपुरी, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी जैसे मनमोहक नृत्य हमेशा के लिए मन मस्तिष्क में अपनी मधुर छाप छोड़ देते है। इस उत्सवी आनंद ने मेरा उत्सवी मिज़ाज आज भी तरोताजा रखा है।


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