Archana Tiwary

Others

3  

Archana Tiwary

Others

तमन्ना

तमन्ना

5 mins
299


सुगंधा मौसी बहुत खुश थी क्योंकि बरसों से जो सपना था वो सच होने जा रहा था। आज उनका बेटा जो दुबई में था वो हमेशा के लिए इंडिया आ रहा था। आजकल मौसाजी की तबीयत ठीक नहीं रहती थी अकेले में मौसी घबरा जाती थी इसलिए उनका बेटा वापस आ रहा था। वैसे तो हम सब मौसी का ख्याल रखते थे पर आजकल सब अपनी ज़िन्दगी में इतने व्यस्त रहते हैं कि किसी के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल सा लगता है। सुगंधा मौसी माँ की डुप्लीकेट ही है। वैसे ही हैं नैन नक्श कद काठी।

         माँ के जाने के बाद उन्होंने हम भाई बहनों को संभाला था। माँ के कैंसर की खबर मिलते ही जब आयी तो कहने लगी दीदी ये तो अब आम बीमारी है इसका इलाज होगा और तुम अच्छी हो जाओगी जब की उन्हें भी ये मालूम था कि ये झूठी दिलासा है फिर भी वो माँ के सामने हमेशा खुश रहने का दिखावा करती। साथ ही साथ हम भाई बहनों को समझाती की दीदी के जितने भी दिन बचें है उसे यादगार बनाओ और उन्हें खुश रखो। मौसी के जाने के बाद हम सब घर का माहौल खुशनुमा बनाने की कोशिश करते। जब माँ का निधन हुआ उस समय भी वो हमारे साथ रही।

अब तो मेरा उनके साथ एक सहेली का रिश्ता हो गया था। मेरे ऑफिस के समय का हमेशा ख्याल रखती। हर दिन रात में फ़ोन पर खूब बातें करती। मैं भी रोजमर्रा की बातें कर मन हल्का कर लेती। कल जब उनका फ़ोन आया तो बहुत खुश होकर उन्होंने बताया कि शिवम् इंडिया आने से पहले बड़ा घर लेना चाहता है क्योंकि सबके लिए ये घर थोड़ा छोटा पड़ेगा। मैंने भी उत्तेजित होकर कहा कि मौसी नया घर मेरे घर के आसपास ही लेना इससे हमारा आना जाना आसान हो जायेगा। उन्होंने कहा अब तुम्हारे मौसाजी बीमारी की वजह से इन सब काम को कर नहीं सकते। शिवम् ही आकर निर्णय लेगा की घर कहाँ पर लेना है। शिवम् ने एक एजेंट द्वारा इंडिया आने से पहले ही घर ले लिया। मौसी ने बताया ये घर तुम्हारे घर से नज़दीक ही है। चलो हम दोनों घर देख कर आते हैं। मैं भी नए घर को देखने के लिए काफी उत्सुक थी। मौसी को ले हम दोनों निकल पड़े। उस दिन मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी पर मौसी से बातें करके जी हल्का हो गया। उनकी बातों में कुछ ऐसा लगाव होता की मैं अपनी परेशानी भूल जाती। घर देख कर तो हमारी आँखें फटी की फटी रह गयी। ये तो घर नहीं आलीशान महल था। मेरा घर तो उसके दो कमरों में समा जाए। मौसी बहुत उत्तेजित होकर घर के लोगों का कमरा चुनने लगी बड़े बड़े कमरे, चौड़ी सीढ़ी, हर कमरे से लगा गार्डन सच मैंने इतना सुन्दर घर अभी तक देखा नहीं था। वापस आकर मौसी घर की सजावट की योजना बनाने में लग गयी। मुझसे पूछती कहाँ पर कौन सी पेंटिंग लगानी है। गार्डन में क्या लगाना है। उन्हें मेरी पसंद पर बहुत भरोसा था शायद इसलिए बार बार मुझसे पूछती बताओ पर्दे कैसा लगाऊं। दीवाल को बच्चों के अनुसार किस कलर में पेंट कराऊँ। उन्होंने तो मेरे लिए भी एक कमरा चुन लिया था। कहती अब मैं तुम्हें एक हफ्ते से पहले जाने न दूंगी। गृह प्रवेश का सारा जिम्मा उन्होंने मुझ पर सौंप दिया था। मैं जब भी समय मिलता उनके साथ शॉपिंग कर लेती। गृह प्रवेश को लेकर वो थोड़ी घबरा गयी थी बार बार मुझसे कहती सब ठीक से हो जायेगा न। मैंने उनसे कहा कि आप चिंता मत करो सब कुछ मुझ पर छोड़ दो मैं सब संभाल लूँगी। शिवम् के इंडिया आने के दिन नज़दीक आने लगे तो उन्होंने उनके और उनके बच्चों के लिए सब इंतजाम करना शुरू कर दिया मुझसे कहती उन लोगों को अब यहाँ की गर्मी सहन न होगी इतने सालों बाद आ रहे हैं पता नहीं बच्चे यहाँ एडजस्ट कर पाएंगे कि नहीं। मैंने देखा इन दिनों वो अपना ख्याल बिलकुल नहीं रखती। मौसाजी की तबीयत को लेकर परेशान सी रहती थी। मैं जब भी उन्हें अपना ख्याल रखने कहती तो हँस कर हमेशा कहती मैं ठीक हूँ मुझे कुछ न होगा। उनकी कही ये बातें आज भी कानों में गूँजती रहती है। नियति को शायद उनका नए घर में गृह प्रवेश मंज़ूर न था वो तो कुछ और ही चाहती थी। जब रात के एक बजे अचानक उनका फ़ोन आया तो उन्होंने कराहते हुए कहा कि तुम जल्दी घर आ जाओ। मुझे बहुत घबराहट होने लगी मैंने पूछा मौसाजी तो ..हाँ हाँ मौसाजी बिलकुल ठीक हैं पर मेरे सीने में जोर से दर्द हो रहा है। मैंने पति को जोर से झकझोर कर जगाया बच्चों को लॉक कर के मौसी के घर पहुँची। मौसी असहनीय दर्द से जूझ रही थी इशारों में डॉक्टर के पास चलने को कह रही थी। मैंने मौसाजी को देखा वे गहरी नींद में सो रहे थे शायद दवाई लेने की वजह से उन्हें ऐसी नींद आयी थी। हम लोगों ने उन्हें उठाना ठीक न समझा। तुरंत मौसी को ले हॉस्पिटल पहुँच गए। डॉक्टर ने बताया इनको हार्ट अटैक आया है। दो घंटे बाद ही डॉक्टर ने हमें बताया कि वे मौसी को बचा न पाए। हमारी तो समझ में न आ रहा था कैसे मौसाजी को इस दुखद घटना के बारे में बताये। कल सुबह ही शिवम् इंडिया आ रहा है उसे क्या कहूँ। सचमुच ईश्वर कभी कभी बड़े निष्ठुर हो जाते हैं हमारी सहनशक्ति की परीक्षा बड़े कठोर बन कर लेते है। मौसी का चेहरा बार बार आंखों के सामने आ रहा था मानो पूछ रही है गृह प्रवेश का इन्तजाम अच्छे से किया है न। कोई कमी न रखना। न जाने कितनी तमन्ना लिए आज वो सबको छोड़ कर जा चुकी थी।



Rate this content
Log in