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Anmol Agarwal

Others Children

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Anmol Agarwal

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तिगरी का मेला

तिगरी का मेला

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आज घर में सभी बहुत खुश थे और खासकर मैं। क्योंकि इन 10 वर्षों में मैं पहली बार तिगरी का मेला घूमने जा रहा था। मेले का नाम सुनते ही मुझे बहुत खुशी हुई। गंगा जी तो हम लोग कई बार नहाने के लिए गए थे पर तिगरी का मेला मैं पहली बार जा रहा था। मुझे तो इस खुशी में रात भर सही से नींद भी नहीं आई। मैं पूरी रात यही सोचता रहा कैसा होगा कल का सफर ?वहां पर खूब सारे झूले होंगे, बच्चों के खिलौने होंगे और पता नहीं क्या-क्या होगा ?यह सब सोचते सोचते कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। सुबह उठकर मम्मी ने जल्दी से खाना तैयार किया और हम लोग तिगरी मेले के लिए रवाना हो गए। तिगरी में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ रहा था। दूर-दूर से ट्रैक्टर, ट्रॉली भर-भर कर लोग आ रहे थे। गाड़ी से उतरने के बाद बहुत दूर तक हम लोगों को पैदल चलना पड़ा। वहाँ जगह-जगह डेरे लगे हुए थे। लाखों की संख्या में श्रद्धालु वहां पहुंच चुके थे। भीड़ बहुत ज्यादा थी पापा ने हमें समझाया कि हाथ पकड़ कर रहना है, नहीं तो भीड़ में खो जाओगे। फिर हम नहाने के लिए गंगा जी पर पहुंच चुके थे। गंगा जी के तट पर आस्था और मौज मस्ती का संगम था। वहां पर बहुत भीड़ थी। अधिकतर छोटे बच्चे अपने पापा की गोदी में नहा रहे थे, औरतें गोल घेरा बनाकर एक दूसरे के हाथ पकड़ कर नहा रही थीं हमने भी बहुत मस्ती की। नहाने के बाद हम लोग मेले की तरफ निकल पड़े।। हम सभी ने मास्क भी पहने थे। सभी जगह रेत थी। जगह-जगह खिचड़ी का प्रसाद बांट रहा था। हर तरफ उड़द की दाल की खिचड़ी और जलेबी की खुशबू आ रही थी। मेला स्थान पर हिंडोला, झूले, मौत का कुआं, जादू और डांस देखने वालों की भीड़ लगी थी। हमने भी झूला झूला और मौत का कुआं देखा। मौत के कुएं में दो आदमी बाइक और एक आदमी गाड़ी चला रहे थे। उन्हें देखकर बहुत डर लग रहा था। लेकिन मजा भी बहुत आया। यहां पर स्काउट के छात्र जगह-जगह घूम रहे थे और खोए हुए बच्चों को उनके परिजनों तक पहुंचा रहे थे। मेले में सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए थे जैसे शौचालय, स्नान घाट, बिजली, हेड पंप, पुलिस चौकी, गोताखोर आदि। अब हमने एक टेंट में बैठकर खाना खाया फिर हमने खूब सारे खिलौने खरीदे जैसे गुब्बारे, बाजा, बोलने वाली चिड़िया, बंदूक, हवाई जहाज आदि। वहां पर चाट पकौड़ी वालों के बहुत सारे ठेले थे। उन्हें देख कर मुंह में पानी आने लगा। फिर हमने वहां पर टिक्की और पानी के बताशे खाए अब हम लोग बहुत थक चुके थे और धूल में भी सन चुके थे। फिर हम अपनी गाड़ी पर वापस आए और खुशी-खुशी घर लौट आए। यह मेला मेरे लिए एक यादगार मेला बन चुका था।


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