Anmol Agarwal

Children Stories Inspirational

4.0  

Anmol Agarwal

Children Stories Inspirational

इंसान की नियत

इंसान की नियत

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कुछ आदमी एक मंदिर बनवाने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे थे। फिर वह चंदा मांगने के लिए सेठ दीनदयाल जी के घर गए। वे अंदर घुसने ही वाले थे कि उन्हें अंदर से सेठ जी के जोर जोर से चिल्लाने की आवाजें सुनाई देने लगी। सेठ जी अपने नौकरों को माचिस की दो तिलियां खराब होने पर डांट रहे थे। बाहर खड़े आदमियों ने सोचा यह सेठ इतना कंजूस है ,फिर हमें मंदिर के लिए क्या चंदा देगा? फिर भी वे हिम्मत करके अंदर चले गए और सेठ जी से मंदिर के लिए चंदा मांगा। सेठ जी ने बिना कुछ कहे एक लाख रुपए निकालकर मंदिर के लिए दे दिए। फिर एक आदमी ने आश्चर्य से सेठ जी से पूछा, हम तो सोच रहे थे आप बहुत कंजूस हैं। आप अभी अभी अपने नौकरों को माचिस की दो-तीन तिलियां खराब होने पर डांट रहे थे फिर आपने हमें इतने पैसे कैसे दे दिए ? सेठ जी हंसते हुए बोले कि मेरे नौकरों ने जान बूझ कर वे तिल्ली खराब की थी। यहां बात पैसों की नहीं थी, यदि मैं उन्हें नहीं डांटता तो कल वे इससे ज्यादा गलतियां करते। मेरे लिए पैसे नहीं सिर्फ इंसान की नियत मायने रखती है। हम कितने भी अमीर क्यों ना हो लेकिन हमें अपना पैसा कभी भी बर्बाद नहीं करना चाहिए। अब चंदा मांगने वाले व्यक्ति भी सेठ जी की सोच के आगे नतमस्तक हो गए।


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