मीरा और शैतान बिल्ली
मीरा और शैतान बिल्ली
एक गांव में 8 साल की बच्ची मीरा अपनी दादी के साथ एक छोटे से घर में रहती थी। मीरा के दादी सुबह को खेत पर काम करने जाती थी और शाम को घर वापस आती थी। मीरा पूरे दिन घर पर अकेली रहती थी। एक दिन दादी के जाने के बाद एक शैतान बिल्ली मीरा के पास आई, और बोली मीरा मुझे खीर खानी है। मेरे लिए खीर बनाओ। मीरा ने कहा मुझे खीर बनानी नहीं आती। इस पर बिल्ली गुस्सा हो गई और बोली कल मुझे खीर बनाकर खिलाना और यह बात किसी को मत बताना। अगले दिन बिल्ली फिर मीरा के पास आई और बोली मीरा मुझे खीर खिलाओ। मीरा रोने लगी। बोली मैं छोटी हूं। मुझसे खीर बनानी नहीं आती। बिल्ली गुस्से से आंखें बड़ी- बड़ी करके बोली अगर तूने मुझे कल खीर नहीं खिलाई तो मैं कल तुझे ही खा जाऊंगी। अब मीरा को बहुत डर लगने लगा। उसने यह बात किसी को नहीं बताई और रोती -रोती सो गई। रात को मीरा के सपने में एक परी आई। और मीरा से उसके रोने का कारण पूछा। मीरा ने परी को सारी बात बताई। फिर परी ने मीरा को एक उपाय बताया। सुबह उठने पर मीरा बहुत खुश थी। अपनी दादी के जाने के बाद मीरा ने चूल्हे पर एक बर्तन में पानी ढक कर रख दिया, और चूल्हा जला दिया। मीरा ने दो ईंट तेज गर्म करके अपने पास में रख ली। जब बिल्ली ने आकर मीरा से खीर के बारे में पूछा तो मीरा ने चूल्हे की तरफ इशारा करके कहा की खीर बन रही है। आप बैठ जाइए। बिल्ली गरम ईंटों पर बैठ गई। गरम ईंट पर बैठते ही बिल्ली नीचे से जल गई और म्याऊं म्याऊं करती हुई बोली म्याऊं- म्याऊं में मीरा की खीर ना खाऊं। म्याऊं- म्याऊं अब मैं मीरा के घर कभी नहीं आऊं। बिल्ली फिर कभी मीरा के घर नहीं आई। अब मीरा बिना किसी डर के आराम से रहने लगी।।