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Jyoti Dhankhar

Children Stories Inspirational

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Jyoti Dhankhar

Children Stories Inspirational

संवेदनशील बेटा

संवेदनशील बेटा

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बहुत सालों से हम अपने पैतृक जगह से दूर ही रहते थे इनकी नौकरी की वजह से तो कोई भी हमारे घर आता ये ऐसे हो जाते की बस बिछ जाओ सब। मेहमान नवाजी अच्छी बात है पर अति किसी भी चीज़ की गलत ही होती है।

ऐसे ही कोई भी मेहमान आता, मैं पंजों के बल हो जाती , जहां हम चारों साथ बैठ के नाश्ता , रात का खाना खाते थे अब बस मैं रसोई में ही रह जाती , कुछ बचे ना बचे इनको परवाह नहीं । बच्चे छोटे थे तो उन से क्या ही उम्मीद रखती।

हम औरतों का यही होता है कि चलो क्यों बहस की जाए चलने दो जैसा चल रहा है । एक बार ससुराल से इनकी बुआ फूफा जी आए हुए थे । मैंने खाना टेबल पर लगाया और पांच प्लेट्स लगा दी। मेरे बड़े बेटे ने तुरंत ही बोला, मां आप की प्लेट ? मेरे बोलने से पहले ही उसके पापा बोले तुम्हारी मां बाद में खा लेंगी। तुरंत ही सात्विक उठा और रसोई में आ गया कि मां हम दोनों बाद में खाएंगे एक साथ, मुझे पता है आपको अकेले खाना खाना अच्छा नहीं लगता।

उस दिन अपनी परवरिश पर बहुत यकीन हुआ कि बेटे बहुत संवेदनशील हैं मेरे, आने वाली के साथ भी न्याय ही करेंगे।



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