Vijay Kumar Vishwakarma

Others

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Vijay Kumar Vishwakarma

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समोसे

समोसे

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समोसे की महक से सभी के मुँह में पानी आ गया । एक टेबिल के चारो ओर बैठे रवि, अक्षय, रेहान और प्रिया के प्लेट पर दो दो गर्मागर्म समोसे रखकर मनोहर समोसे के साथ लाए एक दूसरे पैकेट से चटनी का पाउच निकाला और उन चारों की प्लेट पर रख दिया । प्रिया अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ते हुए झट से एक समोसे का टुकड़ा उठाकर मुँह में डालते हुए बोली - "लाजवाब .... ।"


रवि और रेहान एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और फिर वे भी समोसे को चटनी के साथ खाने लगे । मनोहर पानी का गिलास टेबिल पर रखकर जाने लगा तभी अक्षय बोला - "मनोहर .... तुम भी अपने लिए समोसा निकाल लो ।" मनोहर मुस्कुराते हुए बोला - "सर ... आप लोग खा लीजिए ... मैं बाद में ले लूंगा ।" "प्रिया से बचेगा तो लोगे न मन्नू डियर .... ।" - हंसते हुए रवि बोला । प्रिया रवि को घूरती हुए बोली - "मैं इतना खाती हूँ क्या .... मनोहर भैया आप चिंता न करो ... सबको बराबर मिलेगा ।" मनोहर हंसते हुए उस चैम्बर से बाहर की ओर चला गया और कस्टमर डेस्क की पर्चियां व्यवस्थित करने लगा ।


रेहान समोसे का स्वाद लेते हुए बोला - "पता नही बाजार के समोसे इतने टेस्टी कैसे होते हैं ... घर में बने समोसों में ऐसा स्वाद नही मिलता ... सही है न ?" "सौ फीसदी" - समोसे का टुकड़ा गटकते हुए रवि बोला - "समोसे वाले भैया से इसका राज पता करना पड़ेगा ।" प्रिया मुस्कुराते हुए बोली - "इसमें कौन सा राज है ... बार बार एक ही कड़ाही में ... उसी तेल में तलने से समोसे का स्वाद अलग हो जाता है ... जबकि घर में उसी तेल को दोबारा यूज नहीं करते हैं ... समझे मिस्टर रवि ।"


रवि भौंहें चढ़ाकर प्रिया की ओर देखा फिर रेहान और अक्षय की ओर बारी बारी से देखते हुए बोला - "यार अब तुम डराओ मत ... बार बार उसी तेल में तलते हैं समोसा ... मतलब यूज्ड आयल में ... खराब तेल में ?" प्रिया हौले से पलकें बंद कर सिर हिलाते हुए हामी भरी । "अरे भई घबराओ मत ... अब समोसे के उसी तेल से हवाई जहाज उड़ेगी ।" - चटनी के साथ समोसा खाते हुए इस बार रेहान बोला । "क्या मतलब" - रवि चौंका ।


रेहान तसल्ली के साथ समोसा खाते हुए बोला - "रिन्यूबल डीजल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी नेस्ते .... लो कार्बन जेट फ्यूल के लिए मार्केट तैयार कर रही है .... और इसके लिए वह खराब या यूज्ड कुकिंग आयल से सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल यानि एस ए एफ के उत्पादन को बढ़ाने की लिए करोड़ो रूपये निवेश करने जा रही है ।" "और यह खबर कंपनी ने सीधे आपको भेजा है ताकि आप आज लंच टाईम में समोसे खाते हुए हमें यह ब्रेकिंग न्यूज सुनाएँ .. है न ।" - रवि व्यंग्यात्मक लहजे में बोला । रेहान मुस्कुराते हुए बोला - "जनाब ... बैंक कर्मियों को देश विदेश के हर बिजनेस की खबर रखनी चाहिए .... वैसे आप फिनलैंड की नेस्ते कंपनी की इस खबर को टीवी, अखबार या इंटरनेट कहीं से भी वेरीफाई कर सकते हो ।"


रवि कुछ कहने ही वाला था तभी अक्षय प्रिया की ओर देखते हुए बोला - "प्रिया ... प्लीज मेरे केबिन से मोबाईल ला दोगी ?" प्रिया मुस्कुराते हुए बोली - इट्स माई प्लेजर सर.... ।" प्रिया के उठकर जाते ही अक्षय रवि और रेहान की ओर झुकते हुए धीरे से बोला - "समोसा खाने के बाद जब गैस निकलती है न .... तो पास बैठे लोगों की रूह उड़ जाती है .... फिर हवाई जहाज उड़ने में कौन सी बड़ी बात ?" इतना सुनते ही रवि और रेहान ने जोर से ठहाका लगाया । अक्षय उन्हें आवाज नीची रखने का इशारा करते हुए खुद ही ही कर हंसने लगा ।


तीनो को मंद मंद मुस्कुराता देख मोबाईल लेकर वापस आई प्रिया उन्हें हैरत और सवालिया नजरों से घूरी । अक्षय बात सम्हालते हुए बोला - "बाजार के समोसे के स्वादिष्ट होने का एक और कारण है .... उसे खरीदने वाले लोग ।" "मतलब" - रवि और रेहान एक साथ बोले । अक्षय पानी की एक घूंट पीकर बोला - "समोसा खरीदने वालों की यह आदत होती है कि वे सामने रखे समोसे को छूकर ये जरूर पूंछते हैं ... समोसा गरम है न ।" "तो ?"- इस बार प्रिया ने पूंछा । अक्षय मुस्कुराते हुए बोला - "तो बार बार ... कई बार समोसा छूने वाले वे लोग ... समोसा छूने के पहले उसी हाथ से कान खुजाए थे ... या नाक साफ किये थे .... या टाॅयलेट से बिना हाथ धोये आये थे .... क्या यह कोई जानता है ।"


तीनों सन्न रह गये । प्रिया को उल्टी सी महसूस हुई, वह वाॅशरूम की ओर भागी । रवि और रेहान भी अजीब सा मुँह बना लिए । पैकेट में रखे समोसे की महक अब उन्हें बदबूदार लग रही थी । वे दोनो भी बारी बारी से वाॅशरूम जाकर कुल्ला किये । प्रिया उलाहने भरे स्वर में बोली - "आपने तो आज लंच खराब कर दिया ... अब मै कभी बाजार का समोसा नही खाऊंगी ।" "मैं भी" - रवि बोला उसके साथ ही रेहान भी बोला - "और मैं भी ।" अक्षय मुस्कुराते हुए बोला - "ये तो अच्छी बात है .... बाजार की चीज नही खानी चाहिए .... आप तीनों को मेरा आभारी होना चाहिए ।"


"जरूर आभारी रहेेंगे ... लेकिन तब जब आप लंच का मुआवजा भरेंगे" - रवि रेहान की ओर आँख से कुछ इशारा करते हुए बोला । रवि का संकेत समझकर रेहान बोला - "रवि की बात सही है आपको लंच के बदले डिनर देना होगा ।" डिनर की बात सुनकर प्रिया उछल पड़ी, बोली - "बात एकदम सही है लंच के बदले डिनर ।" अक्षय बुरा सा मुँह बना लिया उन तीनों को बारी बारी से देखा फिर अपना पर्स टटोलकर बाहर निकाला और उसमें झांक कर मायूस हो गया । वे तीनों असमंजस के साथ एक दूसरे को देखे तभी मुस्कुराते हुए अक्षय बोला - "ओके डन ।" तीनों चहक उठे उसी समय उन्हें मनोहर के द्वारा किसी को डांटने की आवाज सुनाई पड़ी । अक्षय तुरंत खड़ा हुआ और उस चेम्बर के बाहर निकलते हुए मनोहर को आवाज लगाया - "क्या हुआ मनोहर ?" बैंक के गेट से किसी को डपटते हुए मनोहर अक्षय की ओर पलटा, बोला - "सर एक भिखमंगा हर हफ्ते आकर इसी तरह परेशान करता है .... मैने बताया कि अभी लंच ब्रेक है फिर भी वह गेट के पास से हट नही रहा है ।"


अक्षय गेट की ओर देखा । मैले कुचैले कपड़े पहने, पसीने से तरबतर एक अधेड़ आदमी हाथ जोड़े खड़ा था । अक्षय मनोहर से गेट खोलने का इशारा किया फिर उस आदमी को अंदर बुलाकर पूँछा - "क्या बात है ... क्या परेशानी है आपको ?" वह आदमी रूआंसे स्वर में बोला - "साहब पता करना है खाते में पैसे आये कि नहीं ... बड़ी मेहरबानी होगी साहब .... बहुत दूर से आया हूँ ।" अक्षय ने उसके सूखे होंठ और गीली आँखों को देखा तो उसे अजीब महसूस हुआ । वह कस्टमर के लिए बैठने के लिए रखी कुर्सियों पर उसे बैठने का इशारा करते हुए मनोहर से एक गिलास पानी लाने को कहा ।


दयनीय नजर आ रहे उस आदमी ने कांपते हाथों से पानी का गिलास पकड़ा और एक ही सांस में पूरा पानी पी गया । अक्षय उसकी ओर देखते हुए बोला - "और पियेंगे ?" वह आदमी घबराते हुए हाँ में सिर हिलाया । अक्षय का इशारा पाकर मनोहर पानी लेने चला गया । उस आदमी के करीब बैठते ही अक्षय को फिनाईल की गंध आई जैसे अक्सर हाॅस्पिटल में महसूस होता है । अक्षय पूंछा - "क्या कोई अस्पताल में भर्ती है ?" उस आदमी के आँसू ढ़लक पड़े । वह बोला - "जोरू अस्पताल में भर्ती है .... दवाई के लिए जेब में पैसे नहीं ..... परदेश में बेटवा मजूरी करता है .... किसी से मोबाईल मांगकर बात किये तो ऊ बोला खाते में पैसा डाल दिये हैं .... साहब ... देखों न ... इस बार बेटवा पैसा डाल दिया है ...... ।"


अक्षय कस्टमर डेस्क की तरफ देखते हुए रवि को आवाज दिया, बोला - "रवि ... चेक करो इनके खाते में पैसा आया हो तो विड्रावल कर दो ।" अक्षय उस आदमी को रवि के काउंटर की तरफ जाने का इशारा करते हुए मनोहर को विड्रावल पर्ची देने को कहा । अपने केबिन में आकर अक्षय कम्प्यूटर पर पेमेंट वेरिफिकेशन की प्रतीक्षा करने लगा । कुछ मिनट बीतने पर भी जब पेमेंट माॅडयूल में कोई नोटिफिकेशन नहीं आया तो अक्षय अपने केबिन से निकल कर रवि के केबिन में झांका । रवि परेशान सा नजर आया । अक्षय उसे अपने केबिन में बुलाकर उसकी परेशानी का कारण पूंछा तो रवि बोला - "सर .... ये कस्टमर ...हर हफ्ते अपना खाता चेक कराता है .... कहता है इसके बेटे ने कहा है कि उसने पैसे भेजा है .... लेकिन इसका खाते में कोई बैलेंस नहीं है .... या तो उसका बेटा इससे झूठ बोल रहा है ... या फिर ये खुद झूठ बोलकर हमें बार बार परेशान कर रहा है ।"


अक्षय रवि से पर्ची लेकर अपने कम्प्यूटर में उसका खाता नम्बर डालकर देखा । रवि सही कह रहा था । उसका खाते में कोई रकम जमा नहीं थी । अक्षय ने खाते को चेक किया, वास्तव में पिछले कई महीनों से उसके खाते में कोई रकम जमा नही हुई थी । अक्षय माथे पर हाथ फेरते हुए कुछ पल तक कुछ सोचता रहा फिर रवि को बोला - "उसे मेरी केबिन में भेजो ।" वह आदमी पूर्ववत हाथ जोड़े अंदर दाखिल हुआ । अक्षय उसे बैठने के लिए बोला और पूंछा - "आप अपने बेटे से कब से नहीं मिले हैं ?" "दो साल होई जायेगा इस बरसात में ।" - वह आदमी अपने माथे पर जोर डालते हुए बोला ।


अक्षय ने अगला सवाल किया - "उसकी माँ .... अस्पताल में भर्ती है .... यह बात आपने उसे बताया ही होगा ?" "नहीं साहब ... अपनी माई की खबर जानकर वह बेकार में परेशान होई जायेगा .... हम यही बताये की गौरी बीमार है.... कुछ खा पी नही रही .... डाक्टर दवाई खरीदने को बोले हैं कुछ पैसे भेज दो ... बस यही बताये हैं साहब ।" अक्षय चौंका, पूंछा - "ये गौरी कौन है ?" "हमारी गाय का नाम है गौरी साहब ।" - उस आदमी ने जवाब दिया । अक्षय कुछ पल के लिए मौन हो गया । अक्षय को चुप देखकर वह आदमी घबरा उठा, बोला - "क्या हुआ साहब .... क्या खाते में पैसा नही आया ?" अक्षय एकटक उस आदमी को देख रहा था । उस आदमी के कांपते हाथ एवं बाढ़ की तरह उछाल मारने को बेताब उसके आँसुओं की लहर को महसूस करते हुए अक्षय की चेहरे पर अचानक मुस्कुराहट फैल गई । वह मुस्कुराते हुए बोला - "चिंता मत करिए आपके खाते में पैसा आ गया है .... कितना निकालना है अभी ?" उस आदमी की आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े । वह लम्बी लम्बी सांसे लिया और फिर आँख बंद कर कुछ बुदबुदाया, जैसे ईश्वर को धन्यवाद दे रहा हो । वह जेब से दवाई की पर्ची निकालकर हिसाब लगाते हुए बोला - "दवाई वाले बाबू ये दवाई ... और ये दवाई और इन सबके लिए एक हजार रूपए बताये हैं .... कुछ पैसा जोरू को फल फूल खिलाने के लिए ......और ..... रात बिरात जरूरत के लिए .... साहब दुई हजार रूपए निकाल दो ।"


अक्षय मुस्कुराते हुए उस आदमी को कैश काउंटर की ओर लेकर गया । वह रवि को आँखों से कुछ इशारा करते हुए बोला - "रवि इनके खाते से दो हजार रूपए निकाल कर कैश इनके हाथ में दे दो ... मैं बाद में वेरीफाई कर दूंगा ।" रवि स्तब्ध रह गया वह दायें बायें रेहान और प्रिया की ओर देखा फिर अक्षय की इशारे के अनुसार दो हजार रूपए गिन कर उस आदमी को थमा दिया । वह आदमी उन सभी को हाथ जोड़कर धन्यवाद दिया और बैंक के बाहर निकल गया । उसके जाने के बाद अक्षय अपने पर्स से दो हजार रूपए निकाला और रवि को देते हुए बोला - "ये हुआ तुम्हारे कैश काउंटर का हिसाब बराबर ... ओके ।" रूपए देकर अक्षय अपने केबिन में वापस आ गया ।


सांयकाल बैंक बंद होने के पहले रवि, रेहान और प्रिया एक साथ अक्षय के केबिन में दाखिल हुए और दोपहर में घटित उस घटना के लिए अक्षय को सराहना भरी नजर से देखते हुए एक साथ सैल्यूट किये । अक्षय भी तुरंत उन तीनों को सैल्यूट किया । वे तीनो अक्षय की ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगे तब अक्षय हंसते हुए बोला - "उस जरूरतमंद की मदद मैने अकेले थोड़े न किया है .... उसमें आप तीनों का भी बराबरी का योगदान है ।" तीनो चौंक उठे । अक्षय मुस्कुराते हुए बोला - "याद है लंच में मेरी डिनर वाली बात ...... वो दो हजार रूपए डिनर वाले ही पैसे थे ।" एक पल के लिए तीनों एक दूसरे की ओर हैरानी से देखे फिर एक साथ हंस पड़े । प्रिया चहकते हुए बोली - "इससे अच्छा डिनर हो ही नही सकता था ।" "बिल्कुल सही" - रवि झट से बोला । रेहान एक हाथ सीने पर रख कर दूसरा हाथ लहराते हुए मुस्कुराकर बोला - "हमें आप पर .... और थोड़ा अपने आप पर भी गर्व है ।" चारो खिलखिलाकर हंस पड़े ।


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