सासु माता
सासु माता
सासुमाता या माँजी हमारे दंभी पति की माँ थी, पर बड़ा ही मधुर संबध था, छोटी आयु में विवाह था हमारा पर सब कुछ सीखाया सासु माता ने। पहले शायद हम को अपना नहीं पायी थी पर जब अपनाया तो पुरी तरह से हमको शुरू का तो कुछ बहुत ठीक नहीं है, अंत में जो समय बीता बहुत ही सुंदर है बस उसी को याद रखना चाहते है। बाद में वह तो जैसे मेरे साथ ही जीना चाहती थी, आज भी वह दिन याद है जब उनकी तबियत बिगड़ी और हम लगातार उनके साथ रहे, जब कुछ खास चीज की फरमाइश की और हमने बना कर खिलाया और बोली की अब हम तेरे बगल वाले कमरे में रहेंगे, यह सोचा जा रहा था कि जब सारा देश ख़ुशियाँ मनाता है यानि 15 अगस्त को सुबह बोलते बोलते इस धरा से चली गयी। पर गयी नहीं वह हमारे आस पास ही है और अशीष दे रही है कल किसी और किरदार पर बात करेगें।