Kamini sajal Soni

Children Stories Inspirational

3.5  

Kamini sajal Soni

Children Stories Inspirational

प्यार की भाषा

प्यार की भाषा

2 mins
3K


आज सुबह घर की क्यारी में खिला हुआ फूल देखकर नंदू खुशी से झूम उठी वहीं आंगन से आवाज़ लगाते हुए जोर से चिल्लाई मां ......बाहर आओ

क्या !! हुआ बेटा सरिता ने अंदर से ही पूछा

नंदू... अरे मां बाहर तो आओ जरा,

अच्छा बाबा आती हूं गैस बंद करके सरिता आंगन में आती है।

नंदू खुशी के मारे अपनी मां से लिपट जाती और खुश होते हुए खिले हुए फूल की तरफ इशारा करके बोलती है मां देखो यह तो वही पौधा है जो गुडाई करते वक्त मेरी ग़लती से उखड़ गया था।

पर आपने फिर से इसको पानी डालकर जमीन में रोप दिया था और आज यह फिर से खिल उठा।

नंदू की खुशी में शामिल होते हुए सरिता ने कहा, हां बेटा रिश्ते हो या पशु पक्षी या पेड़ पौधे सभी प्यार की भाषा समझते हैं। हमने थोड़ा सा प्यार और स्नेह का सहारा देकर जिस पौधे को रोपा था वह पुनर्जीवित हो उठा और अब उस में फूल आ गए ऐसे ही जीवन में हमारे रिश्ते होते हैं।

नंदू आश्चर्यचकित होकर अपनी मां की ओर देखते हुए बोली मां रिश्तों का पौधे से कैसा संबंध???

नंदू को समझाते हुए सरिता बोली.... कभी ग़लतफहमी या किसी कारणवश जब हमारे रिश्ते उलझ जाते हैं तो उन्हें थोड़े से प्यार और विश्वास के सहारे की जरूरत होती है । फिर इसी प्यार और विश्वास के सहारे वह पुनः हरे भरे हो जाते हैं।

सच ही तो है दोस्तों कोई भी रिश्ता सदैव प्यार और विश्वास के अभाव में ही तो टूटता है जब हम अपने रिश्तों को प्यार विश्वास और स्नेह का खाद पानी वक्त वक्त पर देते हैं तो वह आपस में खिलकर हरे भरे हो जाते हैं ।


यह एक बहुत बड़ी सीख बातों बातों में ही सरिता ने अपनी बच्ची के बाल मन में बैठा दी।



Rate this content
Log in