Nisha Singh

Others

4.3  

Nisha Singh

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पंछी

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 चेप्टर -3 भाग-2


‘ये सारे फार्मूले आपको याद होने चाहिए तभी आप कैलकुलस के सवाल सॉल्व कर पाएंगे।’ आखरी फार्मूला लिखते हुए हमारे सर ने कहा। अरविंद शर्मा, हमारे फिजिक्स के टीचर हैं। स्टूडेंट चाहे स्कूल का हो या कॉलेज का अगर उसकी फिजिक्स वीक है, तो उनसे अच्छा पालनहार आपको नहीं मिल सकता। ना… जी बिल्कुल नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि वह पढ़ाते अच्छा है। उनका गैस बहुत अच्छा है, उनके बताए हुए सवाल रट लो और बस आप हो गए फिजिक्स में पास।


इतनी महान आत्मा के तो चरन धोकर पीने चाहिए, पर मैं ऐसा करूंगी नहीं। अगर आप एक बार अरविंद सर को देखेंगे ना तो आप यकीन नहीं करेंगे कि ये महोदय फिजिक्स पढ़ाते होंगे । अच्छी हाइट है अच्छे कपड़े पहनते हैं और सबसे बड़ी और अहम बात कि फिजिक्स के टीचर होने के बावजूद उनके सर पर बाल है। उम्र होगी लगभग 40 साल की पर लगते 50 के हैं। ये एक अलग बात है ,पर सर पर बाल है ये उनको थोड़ा खास बना देता है। ये तो बस तब तक है जब तक कि वह बोलते नहीं है जैसे ही मुंह खोलते हैं बैकग्राउंड साउंड में कांव-कांव की आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं। एंजॉयमेंट से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं हमेशा मनहस सा चेहरा बनाकर घूमते मस्ती मजे के दुश्मन हमारे अरविंद सर।


‘बड़ा ही खड़ूस मास्टर पल्ले पड़ा है।’ अंशिका ने मुझे कोहनी मारते हुए कहा। मुझे इसकी ये आदत बिल्कुल पसंद नहीं। अरे, बात कहनी है तो कह ले ये कोहनी मारने की क्या जरूरत है।

‘हम्म्…’ इसी छोटे से जवाब से मैंने अपना पल्ला झाड़ जलया।

‘क्या खड़ूस है कितना तो अच्छा पढ़ाते हैं, सर के सारे फंडे क्लियर है। इतनी मेहनत से तो कोई भी नहीं पढ़ा सकता। कितने अच्छे सर है तुम दोनों तो हमेशा बुराई करते रहते हो।’ पिया ने हम दोनों को डांटा। आपकी जानकारी के लिए बता दूं… पिया, अरविंद सर की बड़ी फेन है। बुराई नहीं सुन सकती। और हम उनकी तारीफ नहीं कर सकते। उनके पढ़ाने से ज्यादा वह उनके दुखड़े की फेन है। कोचिंग कराने से पहले अरपवंद सर IIT के लिए सिलेक्ट हुए थे एक अच्छी रैंक के साथ पर कुछ परेशानियों के चलते नहीं जा सके और अपना भविष्य बनाने के लिए दूसरों का बिगाड़ने लगे। 


‘तू तो ऐसे बिगड़ती रहती है जैसे सर नहीं तेरे बॉयफ्रेंड है?’ अंशिका ने आंखें मटकाते हुए कहा। 24 घंटे मज़े लेने की फिराक में रहती है ये लड़की।

‘अवनी... दिमाग खराब हो गया है इसका, समझा इसको वो हमारे सर है ऐसी बाते अच्छी नहीं लगती।’ पिया ने गुस्से में कहा।

मैं कुछ कह पाती तभी एक गरजती हुई आवाज आई।

‘पीछे वाली बेंच पर, आप तीनो खड़े हो जाइये।’

जंगल के राजा शेर का आज का शिकार हम तीनो थे। अरविंद सर अपने गुस्से में गरज रहे थे हम तीनों ने जैसे ही सर की आवाज़ सुनी चुपचाप खड़े हो गए वो भी काफी भोले बनकर।

‘क्या बातें चल रही थी आप तीनो की अगर पढ़ना है तो पढ़ो वरना...’

उनकी वरना में काफी कुछ छुपा था खासकर कि ‘भागो यहाँ से’।

‘सॉरी सर, अब हम बातें नहीं करेंगे’ पिया ने कहा।

‘ठीक है, बैठ जाइये’

बैठ तो हम गये पर बाकी का टाइम बड़ा ही मनहूसियत भरा था। आखिर कोई कितनी देर तक फिजिक्स के सवालों को देख सकता है,कम से कम मैं तो नहीं। ये अलग बात है की कभी फिजिक्स मेरा फेवरेट सब्जेक्ट हुआ करता था, कभी ट्यूशन की भी जरूरत नहीं पड़ी पर आज ऐसा नहीं है… वक़्त, वक़्त की बात है जी…


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