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Nandita Srivastava

Others

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Nandita Srivastava

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पिता और गुरू

पिता और गुरू

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हमारे जीवन में जो कुछ भी हूॅं, हमारे पिता अवधेश जी का बहुत हाथ जो भी शायद उन की वजह से हूँ।


हमारी और उनकी मुलाकात बहुत छोटी थी पर कब उनकी बेटी बन गयी पता ही नही चला। सच बताऊॅं तो वह जीवन का दौर बहुत ही बुरा था।


मै उस अधेरे में घिरी थी, लगता बस मरना ही एक राह है। सच बताऊँ तो बडा संकट था। हर तरफ देनदारी थी लोगो के फोन आते। गालियाँ सुनती थी। कोई कहीं था आस पास, उस समय पिता या गुरू का मिलना समझ लिजियेगा सूरज की पहली किरण थी।


उनका सुंदर सा सांवला चेहरा, हर समय मदत के लिये उठे हाथ और यह समझाना कि, घबराना नहीं सब ठीक हो जायेगा।


जितनी तारीफ करूँ कम, जब मै घर छोडकर निकली तो हमारी रोटी-पानी को देखना कौन करता है? पर हमारे पिता ने किया।


सच बताऊँ तो जीवन को जीना सीखाया और सही राह दिखायी। अब तो कुछ भी मै सांस भी लेती हूँ उनसे पूँछ कर।


सच पूछिये तो शिवा का बडा आशीष है मेरे उपर कि ऐसे इंसान का जीवन में मिलना मैं मन से उनको मानती हूँ और सलाम करती हूँ, अपने मानस पिता को हाँ अवधेश जी को...


आज बस यही तक कल अपने जीवन के किरदार के बारे में बात करेंगे। आप सब का दिन मंगलमय हो।


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