पापा की बेटी
पापा की बेटी


मैं एक बेटी या ये कहना चाहिए की पापा की बेटी, बेटियों का अपने पापा से अलग लगाव होता है, ऐसा नहीं है की माँ से लगाव नहीं होता है। माँ बाप दोनों ही अनमोल रत्न होते हैं। पापा और बेटी में एक बात समान होती है की दोनों को अपनी गुड़िया जान से प्यारी होतीं है। क्यूँ बेटियों को पराया धन कहा जाता है फिर उसी धन के साथ उन्हें विदा कर दिया जाता है।
बनाने वाले ने क्या रीत बनाई!
बेटी की विदाई और पापा से जुदाई!
अपने हाथों से बड़ा कर अपनी बेटी को किसी और के हाथ में सौप दिया जाता है और कहा जाता है कि "जा तुझको को सुखी परिवार मिला"
ना जाने किसने रीत बनाई।
भगवान को बेटियों पर दया भी ना आयी।
मेरे पापा मेरी जिन्दगी में मेरे हीरो, मैं अपनी जिन्दगी में जब जब डरी उन्होंने आगे बढ़कर मेरा हौसला बढ़ाया। और दुनिया में आत्मनिर्भर बनो ये सिखाया ।पल पल मेरे साथ रहे।
"हर बेटी की पहचान होता हैं पिता"
"बेटियों के लिए पूरा आसमान होता हैं पिता!"