chandraprabha kumar

Others

5.0  

chandraprabha kumar

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नन्हीं कली

नन्हीं कली

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"अब कैसे बाज़ार जाओगे ? अन्धेरा है" ,नन्हा मुख सकौतुक बतला रहा था। 

"हॉं ,अन्धेरा है तो कैसे बिटिया को बाज़ार से जा सकते हैं ?"

 " पापा नहीं हैं। बाज़ार गये हैं।" नन्हें मुख ने खुद ही समाधान कर लिया। और फिर दोनों हाथों से अम्मा का मुख ऊपर उठाकर कहा-

" अम्मा बोलो-'जीप बाजार जायेंगे"। थोड़ी हँसी-

फिर कहा-

"बोलो- टॉफ़ी लेने, काजू लेने जायेंगे, किशमिश लेने जायेंगे "।

"हॉं , जायेंगे, जायेंगे बेटा। पापा को तो आने दे। "

दूध न पीने के लिये नन्ही नेली न जाने कितने बहाने बनाती है। अभी सवा दो साल की हुई नहीं कि दुनिया भर की बातें बनाने लगी। सुमिता कभी हँसती, कभी प्यार करती, पुचकारती और फिर डॉंट भी देती। डॉंट पड़ती तो पिटाई भी हो ही जाती। पर एक दिन— नेली दूध पीने से मना कर रही थी। सुमिता जानती थी कि रोज़ की तरह बहलाने से आज भी पी लेगी। नेली का कोई क़सूर हो , ऐसा भी नहीं था। अभी कुछ दिन पहिले उसकी बोतल छुड़ाई थी , इसलिये गिलास से दूध न पीने का हठ स्वाभाविक था। 

   सुमिता आज अपने को न संभाल सकी। नेली के दूध पीने से मना करते ही उसे एक थप्पड़ जमा दिया। भोली- भाली नेली मॉं को ताकती रही- ऑंखें में ऑंसू भरे। फिर भरे कंठ से बोली-" यहॉं गाल पर थप्पड़ मारो।"

  " हॉं," सुमिता ने बजाय पुचकारने के और कठोरता से कहा, और निर्माता से कोमल कोमल गालों पर थप्पड़ जड़ दिये। नेली रोई ,पर सुमिता नहीं मानी।

  "रोज तंग करती है, जितना बहलाओ, उतना तंग करती है- आज पीट पीटकर दूध पिलाऊँगी"।

   "चुप हो, नहीं तो और पीटूँगी"।

  नेली घबराकर चुप हो गई, फिर भी ऑंखों में ऑंसू भरे ही रहे ।

 "पी, दूध पी।"

  "बच्चा पास जाऊँगी"।

  " नहीं, बच्चे के पास अभी नहीं, दूध पीकर जाओगी।" 

  सुमिता ने नेली के छोटे से नौकर को, जिसको नेली बच्चा कहती थी, दूर हटा दिया। 

  "बाहर जाकर पियूँगी " - नेली ने रुदन किया। 

 "नहीं, कुर्सी पर खड़े होकर पियो"। 

  " पीती है कि फिर मारुं"- सुमिता चिल्लाई। 

  नेली ने बड़ी- बड़ी आँखों से सिसकते- सिसकते मॉं को ताका। फिर गिलास मुँह से लगा लिया।

 "दूध मुँह में नहीं जा रहा है, पीती क्यों नहीं ? सुमिता ने फिर चॉंटा जड़ दिया। 

   नेली ने गिलास हटाया और रोना शुरू कर दिया। 

 सुमिता ने फिर थप्पड़ लगाये। हाथ में नोचा,पैर में चूँटा,सिर पर मारा,गाल लाल कर दिये। पर नेली को दूध नहीं पिला सकी। 

 नेली के पिताजी आये। नेली बॉंहें फैलाये उधर लपकी। पर सुमिता ने डॉंटकर अक्षय को वापिस भेज दिया। 

   नेली "पापा पापा " कहकर रोती रही। 

  सुमिता ने पीटने में कसर नहीं छोड़ी, पर नेली को दूध किसी भाँति नहीं पिला सकी ।

   हारकर उसने नेली को कुर्सी पर खड़ा कर दिया और कहा-

" दूध पीकर हटना, नहीं तो खूब पीटूँगी। दूध पूरा ख़त्म कर लेना। "

  नेली रोती रही, रोती रही , पर सुमिता नहीं पिघली। बीच- बीच में जाती और डॉंटकर चली आती। 

  थोड़ी देर में रोने की आवाज़ कुछ धीमी सी हुई। सुमिता ने झांककर देखा- नेली कुर्सी से उतरकर बच्चे के पास बरामदे में जाकर खड़ी हो गई थी। 

  वह पागल सी दौड़कर गई। डॉंटकर पूछा-

"नेली को कौन यहॉं लाया ?"

डरा दुबका सा बच्चा बोला-" अपने आप ही चली आईं हैं। "

"क्यूँ आई तू यहॉं ?तेरे से कुर्सी पर खड़े होने को कहा था ? क्यूँ नहीं खड़ी रही वहॉं ?"

  सुमिता ज़ोर - जोर से बकती झकती रही और निर्दयता से नेली पिटती रही। वह अम्मॉं के रौद्र रूप को देखकर हक्की- बक्की रह गई थी।ठीक से रो भी नहीं पाई। बोलती तो क्या ! अभी उसकी वाणी ने इतना बोलना कहॉं सीखा था। बोलना जानती तो सुमिता को ही झटककर परे कर देती। सौ कारण बता देती दूध न पीने के। 

  पर नन्हीं बेज़ुबान टुकुर-टुकुर ताकती रही और रोती रही, सिसकती रही। ऑंखों से ऑंसू बहे, सिसकी तेज हुई, पर रुदन का स्वर नहीं उभरा। 

  सुमिता ने नेली को बिस्तरे पर पटक दिया। वह चुपचाप लेट गई। " अम्मा ! निन्नी आई"- इतना कहा। 

 सुमिता कुर्सी खींचकर पास बैठ गई। नेली लेटी रही। 

  काफ़ी देर की चुप्पी देखकर नेली के पापा अक्षय आये। नेली उन्हें देखकर उठ बैठी और " पापा पापा" कहकर उनकी ओर दौड़ी। और सहमी सी रोने लगी। पर सुमिता ने बीच में ही पकड़ लिया। 

"वहॉं कैसे जावेगी ,लेट यहीं"।

  अक्षय ने कहा-"पागल हुई हो? नन्हीं सी बच्ची पर ग़ुस्सा करती हो ? बहुत हो गया। इससे ज़्यादा क्या जान निकाल दोगी ? मर जायेगी इस तरह तो। "

 " मरे तो मर जाये, मुझे परवाह नहीं। तुम बीच में मत आओ। तुमने इसे छुआ तो मैं तुमसे नहीं बोलूँगी, न ही फिर कभी नेली को प्यार करुंगी "।

 " ग़ुस्सा छोड़ो, बिटिया को गोद में लो। देखो, कैसी तड़प रही है। नहीं दूध पीती तो जाने दो, ज़िद नहीं करते। चलो बेटी,मॉं को प्यार करो। मॉं भी तुम्हें प्यार करेगी।"

  "अम्मा प्यार नहीं करती"- नेली ने कहा। 

  "अम्मा प्यार करती है, अम्मा की राजा बेटा हो"।

 "नहीं, पापा की राजा बेटा"।

 फ़ोन की घंटी सुन अक्षय बाहर गया। तो सुमिता ने नेली को फिर पलंग पर लिटा दिया और झुककर बोली-" अम्मा को प्यार करो। करो । नहीं करोगी?

 सहमी नेली ने मॉं के गालों पर प्यार करा, मुस्कुराई। मॉं ने उसके गालों पर बहे ऑंसू पोंछे। गोद में उठाया और प्यार किया। फिर कहा-

 "बोलो, अम्मा प्यार करती है, अम्मा के राजा बेटा हो "।

"नहीं, पापा का राजा बेटा,अम्मा प्यार नहीं करती।"

 "चलो, नहाने चलो। "

 "नहीं, नहाने नहीं। अब थक गये। अब सोयेंगे। "

   सुमिता कन्धे पर घुमाती रही। नेली सो गई। दोपहर बाद नेली सोकर उठी ,तो बुख़ार से तप रही थी। सुमिता उसे छूते ही डर गई। उफ़! कैसा बदन तप रहा है !

  अक्षय ने देखा तो बोला-" मारोगी तो और क्या होगा ?मर जायेगी तो भी तुम्हें क्या परवाह"।

  सुमिता चुप रह गई। सदा की प्रसन्नवदना नेली उठकर ठुनकने लगी। दूध पीने के नाम जोर से चीख पड़ी। शीशी से दूध दिया, तो शीशी हटा दी। और थोड़ी देर बुखार की गर्मी से छटपटाकर फिर सो गई। 

   रात हुई। पर नेली ने दूध नहीं पिया। शीशी भी मुँह से नहीं लगाई। 

  सुमिता रो पड़ी। पीटा उसी ने था। ग़ुस्से से पीटा था। पर आखिर मॉं थी।

     नेली भूखी रही। कुछ चीज़ नहीं छुई। बाज़ार नहीं गई। किशमिश काजू नहीं छुए। अक्षय ने बहुत बहलाया। सुमिता ने प्यार किया। पर उसकी यह रट नहीं बदली-"अम्मा प्यार नहीं करती। पीटती है।"

  दूसरे दिन बुखार नहीं उतरा। और तेज हो गया। सुमिता ने दिन भर कुछ नहीं खाया। और उसकी ऑंखों से टप टप ऑंसू बहते रहे। नेली ठीक होगी या नहीं ?

  अक्षय बोला- रोओ नहीं। यह बहुत रोई है इसलिये बुखार हो आया। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जिनसे बच्चा प्यार की आशा करता है, उनसे पिटने पर उसे आघात पहुँचता है।"

 तीसरे दिन नेली थोड़ा मुस्कुराई। थोड़ी किशमिश टॉफ़ी भी मॉंगी। थोड़ा दूध भी पिया।और अपनी साइकिल पर बैठकर घूमी। 

  सुमिता के मुँह पर हँसी आई। 

नेली का चेहरा दो रोज में ही झटककर आधा हो गया था। एकदम कमजोर लगने लगी थी। 

        सुमिता ने कहा-" अब कभी नहीं पीटूँगी। इसको खूब प्यार करूंगी ।

" आज कह रही हो। दो दिन बाद देखूँगा"- अक्षय ने कहा। 

"बेटा, अम्मा प्यार करती है"- अक्षय ने कहलवाया ।

"नहीं, अम्मा प्यार नहीं करती"।

" अम्मा नहीं पीटती है। "

"अम्मा पीटती है।"

"अम्मा के राजा बेटा हो।"

"नहीं, पापा का राजा बेटा, पापा प्यार करते हैं। "

  सुमिता उदास हो गई। " क्या नेली अब कभी मुझे प्यार नहीं करेगी ? मैंने उसे पीटा भी तो बहुत था।"

 अक्षय ने कहा-" ऐसे दुःख नहीं मानते। अभी ज़रा सी बच्ची है। दो एक दिन में भूल जायेगी। फिर तुम्हीं से चिपटेगी।"

" पर ज़रा सा फूल है। इसे तो अभी पता भी नहीं होना चाहिये कि पीटना किसे कहते हैं। इतने से बच्चे से क्या कोई ग़ुस्सा किया जाता है।"

  सुमिता ने देखा - नेली पिता की गोद में किलक रही थी और साथ ही शरारत से मॉं की ओर भी देख रही थी, जैसे इस प्रतीक्षा में थी कि मॉं कब आकर उसे बाहों में भर ले। 


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