Priyanka Saxena

Children Stories Inspirational Children

4.8  

Priyanka Saxena

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नज़रिया बदलने की जरूरत आपको है, जनाब!

नज़रिया बदलने की जरूरत आपको है, जनाब!

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महानगर की एक ठीक-ठाक बड़ी सोसायटी में नया परिवार रहने आया, पति, पत्नी और एक बच्चा। आस-पास के फ्लैट वालों से जान- पहचान हुई। मोहित एक मल्टीनेशनल कमपनी में मैनेजर है और उसकी पत्नी मान्या होम मेकर है। सोसायटी में कामकाजी और हाउस वाइफ दोनों ही तरह की महिलाएं रहती हैं। शाम को अधिकतर महिलाएं सोसायटी के पार्क में मिलती, बच्चे खेलते और इस प्रकार सभी को एक दूसरे की खबर रहती है।

मान्या के परिवार को लेकर भी अन्य महिलाओं की जिज्ञासा को उसके सामने फ्लैट में रहने वाली रेखा ने शांत करते हुए सभी को बताया कि बाकी सब तो ठीक है पर लगता है मान्या का बेटा पागल है, अजीब-अजीब हरकतें करता है , कभी भी छोटी सी बात के लिए ज़िद पर अड़ जाता है।

रेखा की बात में हाँ में हाँ मिलकर मान्या के साथ वाले फ्लैट की  शीला ने भी बताया की उसने खुद मान्या के दस साल के बच्चे को बहुत छोटे बच्चे की तरह मचलते और मान्या को उसको ज़रा ज़रा सी बात को समझाते देखा है।

बस फिर क्या था सभी महिलाएं इस नतीजे पर पहुँच गयीं कि मान्या का बेटा मिहिर पागल है। सभी ने अपने बच्चों को मिहिर से दूर रहने को कहा।

थोड़े दिनों बाद जब मान्या का घर व्यवस्थित हो गया तो शाम को वह मिहिर को लेकर पार्क में गई। उसे वहाँ आया देख सभी महिलाएं कोई न कोई बहाना बनाकर वहां से खिसक गईं।

उसी शाम सोसायटी के सेक्रेटरी, जो उसी सोसायटी के एक फ्लैट में रहते हैं , मान्या के घर आये।

सेक्रेटरी ने कहा ,"मान्या जी,आप अपने मानसिक रूप से अर्धविकसित बेटे को पार्क में न लाया करें। वह इस योग्य नहीं है कि नार्मल बच्चों के साथ उठ-बैठ सके। आपको उसके जैसे बच्चे को घर में रखना चाहिए।कभी किसी को नुकसान न पहुंचा दे।"

"सेक्रेटरी महोदय,मेरा बेटा तो स्पेशल चाइल्ड है,प्यार की भाषा को समझता है,थोड़ा समय लगता है सिखाने में पर वह धीरे-धीरे सीख रहा है। योग्य तो आप जैसे लोग नहीं है उसके साथ के,उसके प्यार के, विश्वास के! आप जैसे लोगों की कमजोर मानसिकता के चलते ही मेरे बेटे जैसे बच्चों को अजूबा समझा जाता है। उनका मजाक उड़ाया जाता है। उन्हें पागल कहा जाता है। नज़रिया बदलने की जरूरत आपको है,समझे!" मान्या के इस उत्तर ने सेक्रेटरी को बगले झाँकने पर मजबूर कर दिया।

सेक्रेटरी ने मान्या से माफ़ी मांगी और उसे यकीन दिलाया कि इस सोसायटी में मिहिर के लिए कोई अपशब्द नहीं कहेगा।

घर लौटते समय उसी वक्त उन्होंने फैसला किया कि स्पेशल चाइल्ड की आवशकता और ज़रूरत पर एक चर्चा का आयोजन कर सोसायटी में जागरूकता फैलाएंगे।

दोस्तों, स्पेशल चाइल्ड जो मानसिक रूप से अपने साथ के बच्चों से पीछे रह जाते हैं , समाज उनको पागल , मंदबुद्धि और भी जाने क्या विभूषण देने लगता है।

ऐसे बच्चे पागल या मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं होते हैं बस किन्हीं चीजों या क्षेत्र में उन्हें समझने में दिक्कत आती है तो किसी-किसी क्षेत्र में उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उनको उपेक्षा नहीं अपनेपन और प्यार की जरूरत है। 


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