मेरी माँ
मेरी माँ
हमने अपनी माँ से बहुत सीखा वैसे तो सभी सीखते हैं पर हमारी माँ पढ़ी लिखी विदुषी महिला थीं। संगीत से लेकर जीवन में सहन करना माँ से ही सीखा। माँ को कभी गरम होते या संयम खोते कभी नही देखा। माँ का सुंदर चेहरा गोल सा मुँह बड़े बड़े बाल सफेद ताँत की साड़ी लाल किनारे वाली और बहुत ही सुंदर दिखती थी । माँ ने हमको यही सिखाया कि किसी से आशा नहीं करनी चाहिये बस अपना काम करो। सब भगवान देख रहे हैं। हमारे साथ शिव के पास जाने से पहले लगभग छह साल रही । सहा मान अपमान पर कभी पलट कर जबाब नहीं दिया
। हमने माँ को कभी खाली नहीं देखा हमेंशा कुछ लिखते पढ़ते गाते गुनगुनाते ही देखा और बहुत कुछ सीखा।
आज भी जब कभी जीवन से हार कर मैं माँ की गोद में सर रख कर रोती हूँ तो वह बहुत समझाती है कि मत घबरा, जीत तो तेरी ही होगी, हम को तो नहीं मालूम कि जीतेगें कि हारेंगे पर आई लव यू माँ।
