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Dr. Madhukar Rao Larokar

Others

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Dr. Madhukar Rao Larokar

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मेरा कार्यक्षेत्र

मेरा कार्यक्षेत्र

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सरकारी बैंक से सेवानिवृत्त होने के पश्चात, मेरा कार्यक्षेत्र साहित्य और समाज की, सेवा करने तक ही सीमित है।

यूँ तो विद्यालयीन और विश्वविद्यालययीन शिक्षा प्राप्त करते हुए, साहित्य से जुड़ा रहा हूँ। सेवारत रहते हुए भी पुरस्कारों, प्रशंसापत्रों और सम्मान का क्रम जारी रहा।

समाचार पत्र में पढ़ा कि विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन नागपुर में कवि सम्मेलन है। मैं नियत समय पर पहुँच गया। संयोजक महोदय ने कहा "आज आप पहली बार आये हैं। कृपया अपने बारे में, साहित्य की सेवा के बारे में बतायें। "

मैंने अपना परिचय और रूचि सभी को बताया।आज 5 वर्षों पश्चात भी, साहित्य सेवा का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

चूंकि छोटा पुत्र बेंगलोर (कर्नाटक)में सर्जन है और पिछले 4,5 वर्षों से वहां स्थायी हो गये हैं। बेंगलोर में भी

अग्रणी साहित्यिक संस्था साहित्य संगम में प्रवेश प्राप्त कर साहित्यिक गतिविधियों में संलिप्तता है। हमने बेंगलोर साहित्यकार साथियों की एक बैठक बुलाई।

मैंने कहा कि "आप सभी वरिष्ठ साहित्यकार हैं। भारतीय स्तर पर लेखक और पत्रकार संगठन का गठन हमें बेंगलोर में करना है।अपना मत कृपया सभी व्यक्त करें। "

हमें साथियों का सहयोग मिला और हमने छ:माह पूर्व लेखक और पत्रकार संगठन की बेंगलोर इकाई का गठन किया।यह राष्ट्रीय स्तर की संस्था है।हमने अपने पहले कार्यक्रम में एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव तथा दिल्ली के साथियों को बुलवाया।

मुझे यूनिट का उपाध्यक्ष चयनित किया गया।हमने अभी तक तीन कार्यक्रम भी संपादित किये हैं।

साहित्य संगम बेंगलोर के संयोजक डाॅ सुनील तरूण ने एक बार हमसे कहा था "सेवा चाहे जैसी भी हो,साहित्य की या अन्य की।भावना और समर्पण का होना जरूरी है। यही सफलता का मूल मंत्र है। "

मैंने सुनील जी से कहा था "किसी भी कार्य को करने हेतु इच्छा या भावना का होना जरूरी है। अगर ऐसा है तो आपकी हर राह दिख जाती है। राह पर चलते-चलते मंज़िल भी मिल ही जाती है।"


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