मछलियाँ
मछलियाँ
एक छोटा सा, प्यारा सा गाँव था, जिस के ठीक बीच से एक सुन्दर सी नदी बहा करती थी. बड़ा ही साफ़, चमकता हुआ पानी था उसका। नदी के पानी से गांव के लोग अपने खेतों की सिंचाई किया करते थे और फ़सल उगाया करते थे। पीने का बड़ा अच्छा पानी उसी नदी से मिल जाता था. अच्छे और हमेशा उपलब्ध पानी की वजह से फसल बड़ी स्वस्थ होती थी और शहर में बड़े अच्छे दामों पर बिकती थी जिस से गाँव के लोग अच्छा मुनाफा कमाते, हृष्ट-पुष्ट व निरोग रहते और बेहतर जीवन जीते थे। उस नदी के अच्छे पानी का रहस्य ये था कि उस नदी में बहुत छोटी-छोटी लाखों-करोड़ों मछलियां रहती थीं जो नदी के पानी में किसी हानिकारक कीट, बैक्टीरिया या विषाणु को पनपने ही नहीं देतीं थीं और पानी को लगातार बेहतर बनाये रखतीं थीं।
लेकिन पिछले कुछ समय से नदी में कई सारे मगरमच्छों ने भी अपना घर बना लिया था। अच्छा और साफ़ पानी उसके शरीर को भी फायदा पहुंचाने लगा था और वे तेजी से बड़े हो रहे थे। बड़े होने के साथ-साथ उनकी तादाद और उद्दण्डता भी बढ़ती जा रही थी. उन्होंने नदी के ही दूसरे जीवों को ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में खाना शुरू कर दिया था. मछलियां भी उनका शिकार हो रहीं थीं लेकिन अपने बेहद छोटे आकार और क्षमता के कारण चुपचाप रहती थीं. समस्या तब और ज़्यादा बड़ी हो गयी जब ये मगरमच्छ नदी से निकलकर गांव वालों को परेशान करने लगे थे।
गाँव वालों की परेशानियाँ इन मगरमच्छों की वजह से रोज़ ही बढ़ती चली जा रहीं थीं. ये इतनी बढ़ गयीं कि गाँव वालों ने एक बैठक कर के, मगरमच्छों के उत्पात की समस्या कैसे निपटाई जाये ,इस पर चर्चा शुरू की.
किसी ने कहा "नदी के पानी में दवा डाल दो इनको मारने वाली ......खत्म ही हो जायेंगे ये।" तो दूसरे ने कहा "अरे नहीं .........इस से तो पूरी नदी का पानी जहरीला भी हो सकता है ........ फिर हमारी फ़सलें तो बर्बाद हो जाएँगी, और गन्दा पानी पीने से जो भयंकर बीमारियां होंगी वो अलग", अतः इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया गया। फिर किसी ने कहा "जंगल विभाग में शिकायत करें क्या?", इस पर सभी गाँव वाले कस के हंस दिए "...यहाँ नए आये हो लगता है.....अरे पता नहीं तुमको, हर बार हम इस तरह की शिकायत करते हैं. विभाग के अफसर आते भी हैं। मगमच्छों को पकड़ के ले भी जाते हैं लेकिन यहाँ से ले जा कर पड़ोस के गाँव में छोड़ देते हैं.........ये कम्बख्त वापस यहीं आ जाते हैं". कोई अच्छा कारगर उपाय नहीं निकल पा रहा था.
तभी एक तीसरा बोला "क्यों न नदी को ही सुखा दिया जाये?....न नदी होगी न मगरमच्छ" .
इस उपाय पर सब हैरान थे "पागल है क्या ये ? .....फिर हमारी खेती का क्या होगा?.....पीने के पानी का क्या होगा?". उस आदमी ने कहा "देखो, ज़मीन के नीचे बहुत पानी है....इतना कि कई पीढ़ियां तक खूब खेती करें, खूब पानी पियें तब भी वो पानी कम नहीं होगाबल्कि हर साल बारिश में वो पानी और ज़्यादा बढ़ जाता है. एक मशीन होती है--पम्पिंग सेट.....हम गाँव में वो लगाएंगे कई सारे,......उस से ज़मींन के नीचे का पानी लाएंगे, इस से किसी को कभी पानी नहीं कम होगा और सबको इफरात पानी मिलेगा।"
सबने इस पर हामी भर दी और गाँव के काफी बाहर से नदी के जाने का रास्ता बना दिया और गाँव के बीच से जाने वाली वो नदी सूख गयी.
गाँव में कई पम्पिंग सेट भी लग गए जो बड़ी मोटी धार से जमीन के नीचे का मीठा, ठंडा, और साफ़ पानी देते थे। गाँव वालों को कोई फर्क नहीं पड़ा.
नदी के इस तरह सूखने से मगरमच्छ दूसरी किसी जगह ,गाँव से बाहर की ओर दूसरी नदी चले गए. उनको भी कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ा।
गाँव में ज़रूर अब उनका आतंक , उत्पात नहीं रहा, लोग काफी खुश थे।
.........और वो लाखों बेहद छोटी-छोटी , नदी को साफ़ रखने वाली , शांतिपूर्वक रहने वाली मछलियां मर गयीं।