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Nandita Srivastava

Children Stories

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Nandita Srivastava

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माँ के आँसू

माँ के आँसू

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माँ बहुत उदास है ,माँ गुमसुम है। माँ का बेटा फौज में है।सीमा पर तैनात हाड़ कँपकपाती ठंडी में देश की सीमा मे रखवाली कर रहा है। हम आप लोग तो रजाई में बैठे हैं, हम लोगों को अहसास भी नहीं ,वह लोग कैसे रहते हैं? माँ अपने आँसू छुपाकर खुश रहने का भान करती हैं।"माँ तू कितनी चिंता करती है" कह दूसरा बेटा माँ को समझाने की कोशिश करता है।माँ भी समझने का अभिनय करती रही पर समय के साथ बेचैनी बढ़ती जा रही थी। हाँलाकि माँ को कितना भी समझाओ नहीं समझने वाली। इसी देश के लिये पति कुरबान करने वाली साहसी महिला थी माँ ,यानि कनक सारी सरकारी सुविधाओं को दर किनार करके बेटे को भी फौज में भेजा। यह बड़ी बात थी, पर जो भी हुआ हो पर अपनी संतान की चिंता करना एक सधारण सी बात है ।अब माँ कि बैचेनी बढ़ने लगी ,अंत मे फोन की घंटी बजी पर बेटे का नहीं ,एक दो तीन फोन आ गये, पर बेटे का फोन नहीं आया।चौथा फोन बेटे का था, बात तो पर आँसू बोल रहे थे । हाँ ,हूँ में जबाब देती रही ,बस बेटा ही बोलता रहा, माँ सुनती रही।अंत मे फोन रखने के बाद घंटो रोयी कनक। यह खुशी के आँसू थे कि बेटा सही सलामत है।यह घटना सभी फौजी भाइयों की माँ के लिये जिनके बेटे सीमा पर रह कर देश संभाल रहे हैं।जय हिंद जय माँ भारती।


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