कपड़ों की कमी

कपड़ों की कमी

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माॅम....


क्या हो गया बेटा ? मैं भागी-भागी अपनी बेटी जैली के रूम में गई ।


जैली अपनी अलमारी में से कपडों का ढेर मेरे सामने पटकती हुई बोली- " देखो न माॅम, मेरे पास एक भी ढ़ंग की ड्रेस नही है...मैं क्या पहनकर फ्रेंड्स के साथ आउटिंग पर जाऊं ?"

मैंने उसे उसके कपड़ों में से कई खूबसूरत टाॅप- जींस, कुर्ती आदि सजेस्ट की पर जैली चिढ़ कर बोली- " ओफ ओ मम्मा आप समझते तो हो नहीं, ये सब मैं पहन चुकी हूँ । रिपिट ड्रेस पहनुंगी तो मेरे फ्रेंड्स मेरे बारे में पता नहीं क्या-क्या कमेंट्स करेंगे... इसलिए कल अपन शाॅपिंग करने चलेंगे, ओके !" उसने आदेश जारी किया।

ये बात सुनकर मेरी नज़र अपनी कामवाली की बेटी पर चली गई जो कि जैली की ही हमवयस्क थी ।

वह बड़ी तन्मयता के साथ अपनी कुर्ती की फटी आस्तीनों को ऊपर चढ़ाए पोंछा लगाने में व्यस्त थी..

इतने में मेरी बेटी फिर से भुनभुनाई- " सच में यार मेरे पास एक भी ढ़ंग की ड्रेस नही है..."।


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