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Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Children Stories Drama Inspirational

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Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Children Stories Drama Inspirational

कंजक

कंजक

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दरवाजे की घंटी आज सुबह बार-बार बजती रही। छोटे-बड़े बच्चों और बच्चियों की टोलियाँ आशाभरी आवाज में पूछते,

"दीदी आपके घर कंजक है?"

कहना उन्हें आंटी चाहिए पर आजकल के बच्चे शायद समझ चुके हैं कि आंटियों को खुश करना हो तो उन्हें दीदी बोलो।

"थी तो पर वो तो आठ बजे ही कर दीI"

ये बोलने में बहुत बुरा लग रहा था।

फिर कुछ न सूझा तो बाद में आने वाले बच्चे-बच्चियों को पेंसिल, पुरानी कॉमिक्स, चॉकलेट जो हाथ आया वही दे कर विदा किया। पर एक छोटी लड़की जिद करने लगी, "दीदी पैसे दे दो न! प्लीजI"

सुन कर हँसी भी आयी और गुस्सा भी। "क्यों, पैसे क्यों चाहिए? मम्मी ने बोला क्या कि पैसे ही लेना?"

गरीब बच्चों के माँ-बाप को बच्चों की कमाई का लालची समझने की मध्यमवर्गीय मानसिकता सिर उठा रही थी।

"नहीं। मम्मी तो काम पर गयी है। उन्हें पता चला कि मैं कंजक लेने आयी हूँ तो गुस्सा हो जाएँगी।"

"फिर क्यों चाहिए पैसे?"

"वो पड़ोस की चंदा को दे दूँगी। उसके पाँव में चोट लगी है न वो नहीं आ पायी। बहुत उदास थी कि उसे पैसे नहीं मिलेंगे और अपनी पसंद की फ़्रॉक नहीं ले पाएगी।"

साथ के बच्चों ने उसकी बात की सच्चाई का समर्थन यह कह कर दिया, "दीदी ये ऐसी ही बुद्धू है। कल भी पैसे इकट्ठे कर चंदा को ही दे आयी थी।"

छोटी-सी बच्ची की सोच व संस्कार देख मन भर आया।

आज कन्या रूप धरके सच में देवी माँ का आगमन हुआ था।


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