Apoorva Singh

Others

4  

Apoorva Singh

Others

ख्वाहिश पूरी हो गयी

ख्वाहिश पूरी हो गयी

4 mins
344


"भाई सुनो ना कल मां - पापा की पच्चीस वी शादी की वर्षगांठ है ।"

"रवि - हां दी।"

श्वेता - "भाई , हम क्या सोच रहे थे कि क्यों ना इस बार मां और पापा को सरप्राइज किया जाए।प्रत्येक वर्ष तो एक ही तरह से घर पर शादी की सालगिरह मनाते हैं।क्यूं ना इस बार बाहर सेलिब्रेट किया जाय।"

रवि - "हां दी विचार अच्छा है इसी के साथ हम सभी की एक साथ आउटिंग भी हो जाएगी और परिवार के सभी सदस्यों को एक दूसरे के साथ थोड़ा समय व्यतीत करने का मौका भी मिलेगा।"

श्वेता - "ठीक है फिर ये तय रहा इस बार सालगिरह घर से बाहर सेलिब्रेट करेंगे। जगह का चुनाव किस तरह से क्या करना है कैसे मां पापा को बुलाना है आदि के बारे में चर्चा करके श्वेता फोन रख देती है।" (रवि और श्वेता , कमल नारायण और शैलजा के बच्चे है जो अपने माता पिता की पच्चीसवीं शादी की सालगिरह के उपलक्ष्य में उन्हें सरप्राइज देना चाहते है।)

शाम को ही रवि अपनी नौकरी से दो दिन का अवकाश लेता है और चुनी हुई डेस्टिनेशन पर जाकर सारी तैयारी कर लेता है। साथ ही एक मिनी बस भी किराए पर लेता है और कुछ विशेष व्यक्तियों को आने के लिए आमंत्रित कर देता है।अगले दिन श्वेता अपनी मां से कहती है मां आज नीरू मासी का फोन आया था वो कह रही थी कि आज रविवार है तो मासी और उनका परिवार छोटी सी पिकनिक के लिए जा रहा है आपको और पापा को भी बोला है चलने के लिए।

शैलजा - "जाना कहां है ये बताया नीरू ने।"

श्वेता - "हां मां बताया है और जगह का नाम बता देती है।"

शैलजा -" हम कमल जी से बात करते हैं और थोड़ी देर में निकलते हैं वहां के लिए। श्वेता फोन देना जरा हम नीरू से बात कर लें।"

श्वेता -" ओके मां।"

और मां को थोड़ा सा तैयार करके मां पापा को गाड़ी में बिठा कर ड्राइवर के साथ भेज देती है और रवि को मोबाइल से सूचित कर देती है। थोड़ी देर में श्वेता भी तैयार होकर किराए पर ली गई मिनी बस में सबके पास आ जाती है।इस बस में श्वेता के साथ उसके दादा - दादी, चाचा - चाची और उनके बच्चे , उसके पिता के मित्र और उनका परिवार, उसकी बचपन की दोस्त दिव्या , और उसके मासी और उनका परिवार आदि हैं ।

कमल और शैलजा पर डेस्टिनेशन पहुंच गए।तो वहां उन्हें कोई नहीं दिखता। शैलजा पता तो यही है लेकिन यहां नीरू और निशांत जी में से कोई नहीं दिख रहा।तभी एक व्यक्ति जिसके हाथों में सफेद आर्किड के फूल थे आया और उनका वेलकम किया।और आगे जाने के लिए बोला।तभी शैलजा जी जगह को देख कर कहती है ये तो वही जगह है जहां हम आपके साथ घूमना चाहते हैं वो देखो इस रिजॉर्ट के पीछे पहाड़ हैं और वो साइड से झरना निकल रहा है जो इस तरफ जाकर नदी का रूप लेकर बह रहा है।और ये सामने देखो हरियाली।यहां तो प्रकृति अपनी अलग ही छटा बिखेर रही है।प्रकृति के कितने सुन्दर नज़ारे है यहां मनमोहक...।काश कोई चमत्कार हो जाए और रफी जी के कुछ खूबसूरत गाने सुनने को मिल जाए।कमल जी के मुख से अचानक ये शब्द निकले।तभी एक गाने की आवाज़ उनके कानों से टकराई जिसके बोल थे....

"ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करे

ये दिल तुम बिन...."

दोनों ही आश्चर्यचकित हो गए ये कैसे....और

कमल और शैलजा दोनों गाने की आवाज़ की तरफ बढ़ चले और रिजॉर्ट के नदी किनारे वाले स्थान पर पहुंचे तभी आवाज़ आई .. "सरप्राईज.......आप दोनों को शादी की सालगिरह मुबारक हो।" दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा.. फिर सामने देखा उनका पूरा परिवार और करीबी मित्र सब सामने खड़े उन्हें शुभकामनाए दे रहे हैं ।इतनी खुशी के कारण उनकी आंखो के किनारे आंसुओ से भर गए।शैलजा और कमल ने बड़ों का आशीर्वाद लिया। तभी रवि और श्वेता आए उन्होंने कहा "चलिए अभी एक और सरप्राइज है -- वो क्या है ... " दोनों ने एक साथ पूछा।

रवि और श्वेता - "चलिए बस थोड़ा सा आगे लगभग पच्चीस कदम बस।" कमल और शैलजा देखते हैं कि नदी के किनारे से कुछ कदम पहले एक म्यूजिक सिस्टम रखा है जिस पर रफी साहब के गाने प्ले हो रहे है। मखमली घास पर मुलायम से गद्दे बिछाए गए है जिन पर परिवार के सभी सदस्य बैठे हुए हैं और महफ़िल जम गई है ... इंतजार है बस कमल और शैलजा का।

शैलजा - (भीगी हुई आंखो कि कोरो से) रफी जी के गीत है मै हूं तुम हो और है ये महफ़िल.....। मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई आज .... लेकिन आप सबको पता कैसे चला की ये हमारी ख्वाहिश अभी बाकी है...

रवि -- "मां आपकी लिखी डायरी से.. जो श्वेता दी ने पढ़ी और मुझे बताया। हमने दादाजी और दादीजी से सलाह ली और ये सरप्राइज आपके लिए रखा।" सुनकर सभी खिलखिलाने लगते हैं।



Rate this content
Log in