Aarti Ayachit

Others

5.0  

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खो न जाए बचपन

खो न जाए बचपन

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लता जैसे ही पहुंची, उसने देखा कि उसकी खास सहेली रीमा आज एकदम गुमसुम सी बैठी है और उसका काम में भी मन नहीं लग रहा था । लता ने उससे कारण जानने की कोशिश की, तब जाकर रीमा ने बताया कि उसके पति शशि ने कल रात को जब शराब के नशे में धुत था, तो इनके आपसी झगड़े में अपनी फूल जैसी बेटी भूमि पर हाथ उठाया । इसलिए उसे बहुत बुरा लगा । रीमा ने शशि को समझाने की कोशिश तो बहुत की पर सब बेकार हो जाती । फिर उसने शशि को बोलना ही छोड़ दिया ।

रीमा और शशि के दो फूल जैसे बच्चे है एक बेटी 20 साल व एक बेटा 15 साल का। । जैसे तैसे रीमा नौकरी करके अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देते हुए एक कान्वेंट स्कूल में अध्ययन करा रही थी ।  

शशि भी किसी रेपुटेड कंपनी में कार्यरत था । शशि को दो भाई और दो बहनें हैं, जो पहले साथ में ही रहते थे और मां भी साथ ही थी । रीमा के माता-पिता की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी थी । वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी । बड़े ही अरमानों के साथ अपनी बेटी का विवाह शशि के साथ किया था और सोचा कि भरे-पूरे परिवार में बेटी सुखी रहेगी । विवाह के बाद सब सामान्य ही चल रहा था ।

शशि ने भी अपने भाई-बहनों के विवाह रीमा की कोशिश एवं सहयोग से संस्कारों को निभाते हुए ही पूर्ण रूप से किया । हर काम मां जी की अनुमति से ही हुआ । शशि के पिता पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे, सो सारी जिम्मेदारी शशि के ऊपर थी । पहले की कोई जमा पूंजी निवेश था नहीं जो शशि को सहायता होती ।

 

लेकिन फिर भी रीमा और शशि ने सभी जिम्मेदारियों को पूरा किया और मां भी साथ ही रह रही थी । अचानक एक दिन शशि की अपने भाई-बहनों के साथ कुछ अनबन हो गई और उसकी मां छोटी बहन के साथ ही रहने लगी । मां ने भी सही कारण जानने की कोशिश नहीं की और ये भी मालूम नहीं था कि किस कारण से अनबन हो गई । अक्सर परिवार में कुछ ऐसा ही हो जाता है जिसका खामियाजा निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ता है और साथ ही साथ छोटे बच्चों पर उसका सीधा असर होता है । 


शशि की नौकरी भी है अच्छी खासी , भगवान की कृपा से दो बच्चे हैं और एक सुशिक्षित पत्नी के साथ अच्छी जिंदगी निर्वाह करता तो वो नहीं घर गृहस्थी के तनाव में शराब की लत लग गई और रोज यही सिलसिला शुरू हो गया ।हालांकि कंपनी में साथ काम करने वाले साथियों ने भी बहुत समझाया पर शशि को समझ में नहीं आ रहा था । 


इन सब उलझनों में बेचारे बच्चों का क्या कसूर ? वे तो फूल जैसे कोमल मन के होते हैं, उनको मारना कहां तक उचित है ? रोज जब शशि घर में नशे में ऐसा करता तो बेचारी बच्चों को दूसरे कमरे में बंद कर देती । उसे यही लगता कि बच्चों पर मानसिक रूप से प्रभाव ना पड़े । वह बच्चों को भी सही ग़लत के बारे में बताती रहती । "उसे हर पल यही लगता कि सरकार द्वारा नशावृत्ति रोकने के लिए सभी कदम उठाने के बाद भी नशा करने वाले को समझ में क्यो नही आती"? ये भी नहीं समझता कि देश में शराब के धंधे करने वाले लोगों पर रोक लगाना, जरूरी नहीं है ?


एक दिन अचानक ही शशि की कंपनी से उसका संस्पेंशन आदेश आ गया और शशि एकदम अवाक रह गया , उसनेे रीमा को बताया और रोने लगा, उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था पर अब बहुत देर हो चुकी थी, फिर भी रीमा ने हिम्मत के साथ कहा कोई बात नहीं, देर आए दुरुस्त आए । दोनों ने कंपनी में अपने अधिकारियों से मिलकर माफी मांगी और संस्पेशन आदेश रद्द कर दिया गया । उस दिन दोनों ही बहुत खुश थे और शशि ने वादा किया अपने आप से कि वह अपने मासूम से बच्चों को इस तरह से कभी नहीं मारेगा । 

अधिकतर यह देखा गया है कि घर में इस तरह से बड़े लोगों के विवादों में बच्चों का बचपन खो जाता है , कोशिश करें बचपन खोने मत दिजीए






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