कहानी का शीर्षक राधा कृष्ण
कहानी का शीर्षक राधा कृष्ण
राधा:/ हर शब्द मेरी ज़ुबाँ से तेरा निकले कान्हा एक तू ही है मेरा कान्हा सुन बाँसुरी तो बचा।
कृष्ण:/ गोपियाँ आती जाती हैं राधा तू मन की बावरी हैं, कृष्ण तेरा तुझे पुकारे पास कृष्ण के आजा।
राधा:/ नटखट हैं तू नन्दलाल मन को हर्षाये मेरे ओ मोहन तू वृन्दावन के लाल मेरो कान्हा।
राधा:/ काहे तू बाँसुरी बजाए राधा पीछे थारी दौड़ी चली आये तू मुस्काये राधा को काहे सताये।
कृष्ण:/ बिन तेरे मैं हूं राधिका अधूरा मेरी बंसी तुझे पुकारे यमुना किनारे तू दौड़ी चली आये।
राधा:/ रास रचाये तू कन्हायीं मुझे पुकारे तू गोपियों की मटकी फोड़े माखन चुरा के तू खाये।
कृष्ण:/ मोह प्रेम का प्रेम से भय हैं राधा मटकी फोड़ कर माने माखन खायो कान्हा पुकारे तुझे यमुना किनारे सुन दौड़ी आजा।
