Kumar Vikrant

Others

2  

Kumar Vikrant

Others

जुआ- दिवाली/अन्य कोई त्यौहार

जुआ- दिवाली/अन्य कोई त्यौहार

2 mins
172


झब्बन दादा के जुए की फड़ पर दीवाली की रात जबरदस्त रौनक थी, जुआरी जम कर जुआ खेल रहे थे। मंगू अपने साथ लाए एक हजार रूपये से जीतते-जीतते दस हजार रूपये बना चुका था। एक हजार रूपये के दस रूपये बनते ही मंगू उठ खड़ा हुआ और जुए की फड़ से बाहर जाने लगा लेकिन तभी झब्बन दादा का चमचा बिल्ला उठकर उसके पास आ गया।

'देख बेटे अगर लक्ष्मी मैया आज तुझ पर प्रसन्न है तो आज के जुए में तेरे ऊपर धन की बारिस हो जाएगी।' बिल्ला ने मंगू को समझाते हुए कहा।

'और अगर आज लक्ष्मी मैया प्रसन्न नहीं है तो?' मंगू ने पूछा।

'तो तू जुए में पैसा हारेगा और जिस पर लक्ष्मी मैया वो जुए में जीत जाएगा।' बिल्ला ने समझाया।

'तो भैया मुझे इस लफड़े में नहीं फंसना.........आज जुए में जीता पैसा हारने से अच्छा है वो पैसा कल दारू पीने के लिए बचा लिया जाए।' मंगू ने गर्दन हिलाते हुए कहा।

'कर दी न गिरी हुई बात, अबे जुआ तो दिलदार लोग खेलते है, बड़े लोग, राजा-महाराजा खेलते है।' बिल्ला थोड़ा चिढ़कर बोला।

'अबे तेरे जैसा फटीचर जब ऐसी बड़ी-बड़ी बात करता है तो अंदेशा होता है कि दाल में कुछ काला है.......' मंगू जुए की फड़ से उठते हुए बोला।

'अबे फटीचर किसे बोला? जरा बैठ मेरे साथ तीन पत्ती खेलते है; तू जीता तो तू जुए की इस फड़ से जाने के लिए या अपनी मर्जी का ताश का खेल खेलने के लिए आजाद होगा और अगर हारा तो तुझे यहाँ मेरे साथ १० हजार रुपए का दांव खेलना होगा और ताश का गेम हम चुनेंगे।' बिल्ला थोड़ा नाराज होते हुए बोला।

'मुझे पता है तू मुझ पर जाल डाल रहा है लेकिन तीन पत्ती का खेल मेरा फेवरेट है और इसमें मैं आज तक हारा नहीं हूँ इसलिए सिर्फ इस फड़ से जाने के लिए ही ये गेम खेलूंगा।' मंगू खुश होते हुए बोला।

तीन पत्ती का खेल शुरू हुआ, पत्ते मंगू ने बाँटे लेकिन शो के टाइम बिल्ला के पास तीन इक्के निकले और वो जीत गया।

अब शर्त के मुताबित मंगू को जुआ खेलना पड़ा, खेल के लिए बिल्ला ने मंगू का फेवरेट खेल तीन पत्ती चुना और दस मिनट में मंगू को हरा कर उसका जुए में जीता पैसा उससे वापिस जीत कर उसे जुए की फड़ से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया।

एक बार फिर दीवाली की रात में एक जुआरी हारकर अपना मुंह बिचकाते हुए अपने घर चला जा रहा था, उसे अपने खुद के एक हजार रूपये हारने के बजाय जीते दस हजार हार जाने का बहुत दुःख था।


Rate this content
Log in