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Chandra prabha Kumar

Children Stories Others

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Chandra prabha Kumar

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जामुन भीग रहे हैं

जामुन भीग रहे हैं

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हमारी तीनवर्षीय बेटी जामुन बहुत पसन्द करती थी। हमारा ट्रांसफ़र जब एक ऐसी जगह हुआ जहॉं बहुत बड़ी कोठी थी ,बड़ा सा लॉन था और पिछवाड़े में एक ख़ूब ऊँचा बड़ा जामुन का पेड़ था ,उसको देखकर बिटिया बहुत ख़ुश हुई। 

पेड़ की लम्बी लम्बी शाखायें फैली हुई थी ,उनमें बड़े बड़े काले जामुन लगे हुए थे जो बहुत मीठे थे। हवा चलने पर पकी जामुन टूटकर पेड़ के नीचे गिरती थी, बिटिया को यह सब देखना अच्छा लगता। वह पेड़ के पास जाकर खड़ी हो जाती,और गिरी जामुनों को उठा लेती। उसके लिए हम रोज़ जामुन तुड़वा देते। 

         एक बार ऐसा हुआ कि बिटिया को बुखार आ गया,उसको बिस्तर पर लेटे रहना पड़ा। बाहर निकलना खेलना बंद हो गया। तभी एक दिन तेज हवाएँ चलीं फिर बारिश पड़नी शुरू हो गई। हमने बिटिया से कहा आराम से लेटी रहो ,बाहर पानी पड़ रहा है। उसको अच्छे से चादर ओढ़ाकर मैं कुछ काम करने चली गई। 

       लौटकर आकर देखती हूँ तो बिटिया पलंग पर नहीं थी। मैं घबरायी कि बुखार में वह कहॉं उठकर गई होगी। इधर उधर ढूंढा, कहीं नहीं मिली। फिर मैं बाहर निकली तो देखा कि वह जामुन के पेड़ के नीचे खड़ी है। मैंने उसे गोद में उठाया और कहा कि "बाहर क्यों आ गयी ,अंदर चलो ,यहाँ पानी में भीग जाओगी, और तबियत ख़राब हो जाएगी। "

       वह अंदर जाने को तैयार नहीं हुई ,बोली 'मेरे जामुन भीग रहे हैं। बरसात हो रही है'।जामुनों को बचाने के लिए वह परेशान दिख रही थी। 

       तो मैंने उसे प्यार से समझाया की भीगकर जामुन धुलकर साफ़ हो जाएंगे। तुम जामुन के पेड़ की चिंता मत करो ,उसको तो पानी पड़ने से अच्छा लग रहा है, उसे बुखार नहीं है। 

         उसे बड़ी मुश्किल से समझाकर अंदर लाई, उसके कपड़े पलटे ,आराम से लिटाया।जामुन के पेड़ के प्रति स्नेह और संवेदना से भरकर वह बाहर उसे बारिश से बचाने गई थी। उसके बाल मन ने सोचा कि वह तो आराम से बिस्तरे में लेटी है और बाहर जामुन भीग रहे हैं।

       मेरे मन में आया कि पेड़ पौधों के प्रति उसका यह प्यार बड़े होने पर भी बना रहे तो वह पर्यावरण की रक्षा में सहयोग देगी। 


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