"हिन्दी वेब सीरीज "शालू द अनवांटेड
"हिन्दी वेब सीरीज "शालू द अनवांटेड
एपिसोड 2
"वैध जी" का सहर में जाना-आना लगा रहता पंचायत के काम से जिला कलेक्टर और विभागों के अधिकारियों से गांव वालों के काम करवा देते थे।
वैध जी के दो पुत्र थे "राधे" और त्रिभुवन पर दोनों दो दिसाओं के छोरे थे। राधे बड़ा था पढ़ने में फिसड्डी गांव की हायर सेकंडरी में चार साल से एक ही कक्षा में अटके हुए थे। बापू का रोबदाब था, तो स्कूल के प्रिंसिपल भी कुछ नाही कहत।
त्रिभुवन सांत स्वभाव का था ।भाई से पढ़ाई में बहुत आगे वो सहर के कालेज में बी.ए प्रथम वर्ष का छात्र था।
"राधे" की वेशभूषा ढ़ीला पजामा और कुर्ता उस पर नेताजी सी बंडी (जाॅकेट) और सिर पर अच्छा तेल पानी से पुराने हीरों की तरह बालों की लटों को जमा-जमा कर चिपका कर कंघा किया हुआ।
अकड़ ऐसी की दूसरों को जुती की धूल समझते और हर गांव की छोरी पर गंदी नज़र रखना उनका सबसे बड़ा शगल था। पांच-सात आवारा छोरों की टोली चलती थी, मुफ्त की दारू, औरत बाज़ी, जुआ-सट्टा चापलूसों को और क्या चाहिए।
'राधे की शादी जल्दी कर दी थी, वैध जी ने घर की लुगाई के साथ वही व्यवहार गाली-गलौज मर्जी से शोषण करना। मारपीट आम सी बात थी।
राधे भी सालू पर गिद्द दृष्टि गड़ाए था । दोस्तों में कहता रहता था, देखना एक दिन मैं नी उठा लेगिया इस सालू को "सल्ली हरामजादी"बोहोत नखरा दिखावत् है।
सारी छोरियां एक इसारे पे आन पड़े है।
इस "साली रंडी" मेरा डर नी है, सब अकड़ निकल ही दूंगा साली की ...., गंदी-गंदी गालियां बकता है। चम्मचे छोरे पान की पीक से भरे गंदे दांत निपोरते खीं-खीं करने लगते।
आज मौली गांव के मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन वैध जी की और से रखा गया था। सभी गांव के लोगों को आमंत्रित किया था। सालू भी अपनी बहनों के साथ मां-बाबा के साथ मंदिर जाती है।
"राधे" भी ७० के हीरो की तरह बालों की लटों को जमा-जमा कर चिपका कर कंघा किया हुआ। अकड़ ऐसी की दूसरों को जुती की धूल समझते और हर गांव की छोरी पर गंदी नज़र रखना उनका सबसे बड़ा शगल था। पांच-सात आवारा छोरों की टोली चलती थी।
मुफ्त की दारू, औरत बाज़ी, जुआ-सट्टा चापलूसों को और क्या चाहिए।
'राधे की शादी जल्दी कर दी थी, वैध जी ने घर की लुगाई के साथ वही व्यवहार गाली-गलौज मर्जी से शोषण करना। मारपीट आम सी बात थी।
राधे भी सालू पर गिद्द दृष्टि गड़ाए था । दोस्तों में कहता रहता था, देखना एक दिन मैं नी उठा लेगिया इस सालू को "सल्ली हरामजादी"बोहोत नखरा दिखावत् है ।
सारी छोरियां एक इसारे पे आन पड़े है।
इस "साली रंडी" मेरा डर नी है, सब अकड़ निकल ही दूंगा साली की ...., गंदी-गंदी गालियां बकता है। चम्मचे छोरे पीक से भरे गंदे दांत निपोरते खीं-खीं करने लगें।
आज मौली गांव के मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन वैध जी की और से रखा गया था। सभी गांव के लोगों को आमंत्रित किया था। सालू भी अपनी बहनों के साथ माई-बापू के साथआई थी।
मेले सा लगा था ।
सालू गहरे लाल रंग का लुगड़ा पहन कर आई थी सुन्दरता निखरी जा रही थी। गजब लग रही थी जैसे स्वर्ग से अप्सरा उतर आई हो ज़मीन पर, जो भी देख रहा था देखता ही रह गया। गांव के छिछोरे छोरों की लार टपकी जा रही थी।
सालू अपनी सखियों के साथ हंसी-ठिठोली कर रही थी कि "राधे" सालू के सामने आकर भद्दे तरीके से हाथ पकड़ कर खींचने लगता है। सालू तमतमा कर गाली देती है**छोड़ हरामजने**थारी जागीर हूं। उसकी सखियां और बहनें घबरा जाती हैं। राधे नशें में धूत गंदी गालियां बक रहा था।
सालू ने इधर उधर निगाहें दौड़ाई तो मंदिर में क्यारी में मिट्टी खोदने का फावड़ा पड़ा था। सालू ...
आगे....!
