गुलाबी पैकेट
गुलाबी पैकेट
रीना माथे पर गोबर की टोकरी रख ;घर के पीछे हाता में जाकर उपले पाथ रही थी |बड़की माँ नहा कर वहीं लकड़ी के बाड़ों पर कपड़े फैला रही थी |
क्या रे ,रिनवा आज स्कूल नहीं जाएगी ?
हाँ हाँ जाएँगे...आज से परीक्षा भी शुरू है|रीना ने उत्तर दिया|
अरे!हे !राम राम...क्या लगा है ?पीछे लाल -लाल |जरा भी सऊर नहीं आया |इतनी बड़ी हो गई है घोड़ीजैसी...मुँहफट कलावती बोले जा रही थी|
रीना, समझ गई तुरंत उठकर घर के अंदर गई
काफी खोजा ...माँ की पुरानी साड़ी को फाड़कर उपयोग कर फिर से काम में जुट गई|
तैयार होकर स्कूल के तरफ़ से मिली साइकिल से दस किलोमीटर दूर स्कूल पहुँच गई|परीक्षा देकर कक्ष सेबाहर आ रही थी ,पीछे से उसकी ख़ास सहेली पूनम ने पूछा कैसा गया परचा?
रीना ने कहा-हाँ ,यार !अच्छा गया |तुम्हारा
पूनम?मेरा भी ठीक गया|अब तो तीन दिन बाद दूसरा पर्चा है चलो तीन दिन बाद मिलना होगा|चलो अच्छा है;कल शहर जाना है -भइया के पास ,’उनकी बेटी का छठी का भोज है|’पूनम ने कहा|
रीना-वाह!बहुत बधाई !मेरे लिए क्या लाओगी शहर से?हा हा हँसते हुए दोनों सहेलियाँ अपने -अपने घरों कीओर चल दी |
तीन दिन बाद परीक्षा के उपरान्त;पूनम ने रीना के पास आकर गले से लगाते हुए ,उसे जन्मदिन की बधाईदिया साथ ही एक गुलाबी पैकेट में लिपटा जन्मदिन का तोहफ़ा भी दिया |
रीना-अरे! तुम्हें याद था...थैन्कयू यार|क्या गिफ़्ट लाई हो?
पूनम -घर जाकर खोलना...चलो चलती हूँ |टाटा हाँथ हिलाते हुए दोनों सहेलियाँ विदा हो गई |
रीना-रास्ते भर सोचती रही कितनी अच्छी है पूनम और एक मैं हूँ एक टॉफ़ी तक नहीं खिला पाई ...परसों माँसे मिठाई बनवा कर लाकर खिलाऊँगी सबको|
घर पहुँच कर जब रीना ने पूनम का दिया गिफ़्ट खोला तो उसके चेहरे पर सुखद मुस्कान फैल गई |गुलाबीपैकेट में बारह यानी एक साल का सैनिट्री नैपकिन गुलाबी पैकेट वाला झांक रहा था|
रीना के मन में पूनम के प्रति श्रद्धा का भाव जाग उठा |मन ही मन रीना बुदबुदाई उपहार हो तो ऐसा ; “उपयोगी |”अब समझ में आया रीना को ; है क्यों तीन दिन पहले पूनम बार -बार उसके स्कर्ट की तरफ देखेजा रही थी और कुछ बोलना चाह रही थी |दोस्त हो तो ऐसा जो “नीचा दिखाने के बजाए ऊपर उठाए”|