एक हफ्ते बाद
एक हफ्ते बाद
"आ जाओ", उस आत्मा ने चारों दरिंदों की आत्माओं से कहा।
"कई दिनों से यहीं भटक रही थी। आज मुक्ति हुई। आ जाओ, साथ चलते हैं। मुझे तुमसे कोई भय नहीं। अब न मैं स्त्री हूँ और तुम पुरुष। कुछ कदम तुम मेरे साथ चल सकते हो। आगे हमारे रास्ते अलग हो जाएंगे। मैं नहीं जानती कि तुम्हें कौन सा नरक मिलेगा। तुम्हें खौलते तेल के कड़ाहों में फेंक जाएगा ,आरों से काटा जाएगा, लोहे की चट्टानों के नीचे मसला जाएगा या तुम प्रेत पिशाच योनि में दुःख पाओगे। ईश्वर इसका फैसला करेगा। घोर नरक तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है। देखो मेरे लिए स्वर्ग के द्वार खुले हैं। चलती हूँ।