Vijaykant Verma

Others

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Vijaykant Verma

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डियर डायरी26/04/2020

डियर डायरी26/04/2020

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Dear diary

26/04/2020

दुनिया में सब कुछ पैसा है। यह त्याग और सेवा की भावनाएं सिर्फ दिखावटी है। इस लॉक डाउन में सरकारी आदमी घर में हैं और उन्हें पूरा वेतन मिल रहा है। फिर भी इस आपदा की स्थिति में सिर्फ एक दिन के वेतन कटने की बात पर भी बहुत से लोगों में नाराज़गी है। 

उनकी तनख्वाह भी कम नहीं है। कम से कम प्राइवेट उद्योगों में काम करने वाले कारीगरों की तनख्वाह को देखते हुए तो आप यह जरूर मानेंगे कि उनकी तनख्वाह बहुत ज्यादा है। और इस मुसीबत की घड़ी में अगर कुछ समय के लिए उनके वेतन वृद्धि को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, तो इस पर भी बहुत से सरकारी कर्मचारी खफा है..!


और दूसरी ओर भारत के तमाम उद्योग बंद है। लाखों लोगों की नौकरी चली गई है। दैनिक काम करने वालों को दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है। लेकिन ऐसे समय में भी यह सरकारी आदमी अपनी तरफ से कुछ भी त्याग करने को तैयार नहीं है। 

यह देश इसीलिए रसातल में जा रहा है, कि एक तरफ तो वो वर्ग है जो दो दो पैसों के लिए तरस रहा है। और दूसरी तरफ वह लोग हैं, जिनको मलाई मिल रही है, लेकिन उससे भी ऊपर कुछ पाने के लिए वो लड़ाई लड़ रहे हैं।


कुछ सरकारी कर्मचारियों का यह तर्क है, कि प्राइवेट वालों की तनख्वाह बहुत ज्यादा है और उनके पैकेज लाखों में है। ऐसे सरकारी कर्मचारियों से हमारा अनुरोध है, कि फिर वो भी सरकारी नौकरी छोड़कर क्यों नहीं प्राइवेट में आ जाते हैं और क्यों नहीं लाखों का पैकेज हासिल कर लेते हैं..? क्या उन्हें किसी ने रोका है..?


सच्चाई हमेशा कड़वी होती है। आप रोज अखबार में पढ़ते होंगे कि सरकारी नौकरी पाने के लिए न जाने कितने लाख रुपए घूस का लेन देन होता है..? क्या हमें आप बताएंगे कि प्राइवेट नौकरी में लाखों का घूस क्यों नहीं चलता..?


अरे आसमान में उड़ने वालों, कभी तो ज़मीन पर पैर रख लिया करो..!

एक दिन तो ऊपर जाना ही है, और तब सारा हिसाब ईमानदारी से ही होना है!!



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