दादी का वाॅकर #बाल कहानी लेखन
दादी का वाॅकर #बाल कहानी लेखन
आज फिर दादी परेशान हो गई। मिनी उनकी हालत देखकर दुखी हो गई।मिनी ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक मेधावी छात्रा है।
दादी बुजुर्ग हो गईं हैं,चलने फिरने में तकलीफ़ होती है तो मिनी के पापा मनीष ने अपनी मां के लिए एक बेंत ला दी।बेंत से दादी फिसलकर गिर गईं।
पापा फिर वॉकर ले आए। वॉकर ठीक रहा पर बड़ा होने के कारण दादी को आइडिया नहीं रहता और वो कोने में अड़ जाता या दादी किसी मेज कुर्सी या सामान से टकरा जाती।
आज दादी का वॉकर पलट गया और दादी को बहुत चोट लग गई।
मिनी अपनी दादी से बेहद प्यार करती है उन्हें तकलीफ़ में देख उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा उसने दोपहर को खाना भी नहीं खाया।
मिनी को विज्ञान की किताबें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है,हाल में उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटर ग्राफिक्स से संबंधित किताब मिलेन मिशेल द्वारा लिखित "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: ए गाइड फॉर थिंकिंग हृयूमन" पढ़कर इतना तो पता चल गया था कि वॉकर को दादी के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है अगर वो उनके हिसाब से प्रोग्राम किया जाए।
शाम को मौसेरे भाई सिद्धांत,जो मेकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहे हैं,का फोन आया।मिनी ने दादी की समस्या उनसे बताई,उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटर ग्राफिक्स की मदद से वॉकर को प्रोग्राम किया जा सकता है।
मिनी दादी के बारे में सोचती हुई सो गई।
वॉकर मिनी के पास आकर बोला,"मिनी, मैं दादी को चोट नहीं पहुंचाना चाहता था पर मैं क्या करूं दादी को चोट लग गई,मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ।"
मिनी ने वॉकर से कहा,"मुझे कोई उपाय बताओ जिससे दादी तुम्हें पकड़कर चल लें और उन्हें चोट न लगे, वो टक्कर न खाएं, न ही गिरें।"
वॉकर ने मिनी से कहा,"साइंटिस्ट राघव के पास ले चलो मुझे।वह मुझे मोडिफाइड यानि मुझमें परिवर्तन करके दादी के लायक बना देंगे।"
मिनी की आंख खुल गई,वह दौड़ कर पापा के पास गई।मिनी ने अपना सपना पापा को बताया,सिद्धांत भैया से हुई बातचीत भी बताईं।
अगले दिन ही वॉकर को लेकर मनीष और मिनी साइंटिस्ट राघव के पास गए।
साइंटिस्ट राघव ने उनकी बातों को ध्यान से सुना। वॉकर को उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटर ग्राफिक्स की मदद से एक वॉकर रोबोट में बदल दिया जिसको इस तरह से प्रोगाम्ड किया गया ताकि यदि रास्ते में कोई बाधा या वस्तु आए तो वह बीप के साथ हिंदी में चेतावनी देता कि आगे बाधा है। साथ ही उपाय भी बताता कि क्या करें,जैसे कि दाएं चले या बाएं चले या रास्ता बदल लें या पीछे लौट जाएं आदि आदि।
वॉकर में साइंटिस्ट राघव ने यह सब सिस्टम फिट कर दिये।
मिनी ने दादी को मोडिफाइड वॉकर दिया।अब दादी टकरा कर गिरती नहीं हैं,उन्हें वॉकर गाइड भी कर देता है कि आगे कुछ बाधा तो नहीं है और यदि है तो किधर जाना है।
मिनी दादी को खुश देखकर खुद भी खुश रहने लगी।
दोस्तों,विज्ञान में बहुत सी आशा की किरणें छिपी हैं, बस आपके समझने भर की देर है। मिनी ने किताबें पढ़कर अपनी दादी की राह आसान कर दी।