चीख
चीख


आप लोग कैसे है आशा करती हूँ कुशल मंगल से होंगे और अपने अपने अशियाने में सुरक्षित होंगे, आज मन बहुत ही दुखी है पता है आज हम किसी के पुकार पर मदद नहीं कर पाये, कितना बुरा हो गया। आज मेरे हाथ से सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि क्या हुआ, मेरे साथ आज अभी थोड़ी देर पहले फोन आया मेरी बहुत ही प्यारी सखी का जो रो रही थी, चीख रही थी कि मुझे बचा लो Please Help Me. हमारे हस्बेंड, हमको मार रहे है बुरी तरह से, हम सिहर गये जो हमको करना चाहिये था वह तो किया पर लाँक डाउन की वजह से भाग कर नहीं पहुँच पाये पुलिस सहायता केंद्र पर भी फोन और महिला थाने में भी किया, पर जब उसके साथ पास नहीं जा पाये यह हमको बुरा लग रहा है, बस यही सोच सोच कर परेशान हैं कि की महिलाये घर में भी सुरक्षित नहीं है। जाये तो जाये कहाँ, यह पड़ा लिखा समाज है क्यों नहीं रूक रहा है घरेलू हिंसाओ का दौर क्यों नहीं समाज आधी अबादी को respect दे पा रहा है, कब बदलेगी लोगो की मानसिकता? तमाम सवाल दिमाग में घूम रहे है, चलिये आज बस यही तक कल किसी और पर बातचीत होगी आप सब सुरक्षित रहे एवं स्वस्थ रहे आप सब की।