Kamini sajal Soni

Children Stories

2.5  

Kamini sajal Soni

Children Stories

बेबसी

बेबसी

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शाम का समय था पंछी अपने घर वापस लौट रहे थे। ठंडी ठंडी मंद पवन बालों को सहला रही थी इतना खुशनुमा मौसम पर दिल में विचारों के बवंडर जैसे तूफान मचा रहे थे।

आज की घटना ने मेरे दिल को दहला दिया था रह रह कर वह बेबस आंखें आंखों के सामने घूम रही थी।

हां, यह घटना मेरे पड़ोस की है।कितनी सुंदर थी आशा ....बहू बनकर घर पर आई उसकी खूबसूरत कजरारी आंखें एक बार नजर भर कर किसी को देख ले तो उसी का हो जाए।

पर पिता की गरीबी ने आशा का विवाह एक शराबी से कर दिया । अब वह आए दिन शराब पीकर घर में तांडव करता बेचारी सहमी सी आशा एक कोने में दुबक कर बैठ जाती।

पर आज तो उसके पति ने हद ही कर दी ना जाने कहां से उसके हाथ में एक तेजधार चाकू आ गया और वह शराब पीकर आशा को मारने दौड़ा और वह मोहल्ले में हर घर को खटखटा रही थी कि कोई उनकी रक्षा करें पर कहीं से किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया। कितनी बेबसी झलक रही थी उसके चेहरे से।

पता नहीं मुझे अचानक क्या सूझा और मैंने पुलिस का नंबर डायल कर दिया कुछ ही देर में पुलिस आई और उसको पकड़ कर ले गई।


उस दिन मेरी लेखनी विवश हो गई कि मैं यह सब देख कर समाज में फैली कुरीतियों को देखकर कुछ लिखूं शायद यही वह दिन था जब मुझे लिखने के लिए प्रेरणा मिली।



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