बालिका मेधा 1.13
बालिका मेधा 1.13
मेरे प्रश्न पर मम्मी ने बताया - "मेधा मुझे इसके दो कारण लगते हैं।
पहला, या तो जैसा हम माँ-बेटी बात करते हैं वैसी बातें इन बेटों की अपनी माँ या पिता से नहीं हो पाती है, जिससे इनके अच्छा-बुरा देख/समझ सकने की दृष्टि स्पष्ट नहीं हो पाती है।
दूसरा, कुछ लड़कों में मिले हुए अच्छे संस्कार भी, आज की उपलब्ध बुरी समाग्रियों के प्रभाव में नष्ट हो जाते हैं। "
मैंने पूछा - "मम्मी, ये बुरी समाग्रियां कौनसी होती हैं?"
मम्मी ने बताया - "वही, नशाकारक सामग्री (ड्रग्स), अश्लील वीडियो एवं सिनेमा इत्यादि, जिनके दुष्प्रभाव में बच्चे अपनी अच्छाई खो देते हैं। मैंने अभी तुमसे कहा था कि अकेले रह गए लड़के/पुरुष, अधिकतर ऐसे अपराध करते हैं। इसे और स्पष्ट यहाँ कर रही हूँ कि जो अकेले नहीं हैं उनमें से कुछ भी इन सामग्रियों के दुष्प्रभाव में ऐसे अपराध कर देते हैं।"
मैंने पूछा - "मम्मा, मैं भी एक बड़ी हो रही लड़की हूँ ऐसे में अगर मैं पूछूँ कि अपने पर ऐसी आशंकाओं से मुझे कैसे बचना चाहिए, तो आप क्या कहेंगी?"
मम्मा ने बताया -" पहले तो मेधा तुम्हें, स्वयं अपने को इन बुरी समाग्रियों से दूर रखना चाहिए। दूसरे, तुम्हें उन स्थलों पर अकेले नहीं जाना चाहिए जहाँ यायावर-अस्थाई आबादी (Floating population) और ऐसे अकेले रह गए लड़के या आदमी अधिक होते हैं। साथ ही जब तक तुम्हारी स्वयं की समझ परिपक्व नहीं हुई है तब तक तुम्हें अपने हर संशय तथा कोई भी असामान्य बात/घटना मुझसे या पापा से डिस्कस करनी चाहिए। "
मैंने कहा - "मम्मी, आपने बहुत कुछ बताया है जिसकी जानकारी से मुझे लाभ मिलेगा। अंत में यह बताइये कि फ्लोटिंग पापुलेशन क्या होती है और इनकी अधिकता वाले क्षेत्र कौनसे हैं?"
मम्मी ने बताया - जेडफ्लोटिंग पापुलेशन वह होती है जो किसी नगर में अस्थाई रूप से व्यवसाय सिलसिले, श्रमिक रूप में या जॉब सर्च के लिए, कुछ समय के लिए आये लोगों की होती है। सामान्यतः ये लोग अपने पत्नी बच्चों से दूर अकेले या अविवाहित रूप में शहरों में आते हैं। ये अपने मूल स्थान से दूर होते हैं। अतः इनमें कुछ बुरा भी कर जाने का दुस्साहस अधिक होता है। हाईवे, नए हो रहे निर्माण स्थल आदि जगह ऐसे लोगों की अधिकता वाले होते हैं। इन स्थलों पर हमें अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है।"
मैंने कहा - "मेरी प्यारी मम्मा, मैं अत्यंत भाग्यशाली हूँ कि मैं आपकी बेटी हूँ।"
मम्मी ने कहा - "हम भी भाग्यशाली हैं कि हमारी बेटी गुणशाली है। मेधा, अच्छा है कि तुम ऐसे संशय और प्रश्न मुझसे पूछती हो। मैं अभी यह और कहना चाहती हूँ। किसी लड़की पर आशंकित खतरे यही नहीं और भी हैं जो प्रसंग आने पर आगे कभी तुमसे कहूँगी।"
ऐसे हममें उस दिन की चर्चा पूर्ण हुई थी।
दादा जी की तबियत अधिक बिगड़ने पर, मम्मी को भी गाँव जाना था। मैं यहाँ अकेले नहीं रहकर, उनके साथ गाँव जाना चाहती थी। शायद मम्मी, दादा जी की दर्दनाक हालत मुझे दिखलाना नहीं चाहती थी। उन्होंने मुझे अकेले रहने के लिए घबराते हुए देखा तो मुझसे कहा -
मेधा तुम 13 वर्ष की हो चुकी हो। इस आधुनिक शताब्दी में जन्मी लड़की हो, अपनी प्रत्येक श्वांस तुमने इक्कीसवीं सदी में ली है। तुममें यह आत्मविश्वास होना चाहिए कि अकेले रहकर भी तुम स्वयं को सेफ रख सकती हो। वैसे भी हमारी सोसाइटी में आने के पहले, बाहरी लोग की जाँच की जाती है। सोसाइटी के अंदर की परिस्थितियों को तुम सरलता से निपट (Handle कर) सकती हो।
मैंने असहमत करते हुए कहा - "मम्मी, पूरा पूरा दिन अकेले रहने में मुझे बोरियत होगी। मुझे खाना भी तो पूरा बनाना नहीं आता है।"
मम्मी ने कहा - "मैं तुम्हारे भोजन के लिए टिफ़िन की व्यवस्था कर देती हूँ। दिन में क्लब में जाकर तुम टीटी खेल लिया करना। तुम कराटे में येलो बेल्ट कर चुकी हो। अभी तुम ग्रीन बेल्ट की क्लास भी ज्वाइन कर सकती हो। मेरी कोशिश भी गाँव से जल्द से जल्द लौट आने की रहेगी।"
यह मेरे अकेले रहने का पहला अवसर होने वाला था। ना चाहते हुए भी, मुझे मम्मी की बात माननी पड़ी थी। मम्मी ने ढ़ाढस देते हुए कहा -
मेधा तुम अपनी आयु से अधिक समझदार और जिम्मेदार हो। यह देख कर ही पापा और मैं, तुम्हें अकेले रहने देने का साहस कर रहे हैं। किसी भी परेशानी के लिए मैं मोबाइल पर उपलब्ध हूँ ही। आवश्यकता होगी तो मैं अपनी फ्रेंड्स में से किसी से तुम्हारी सहायता करने के लिए भी कह सकती हूँ।
आखिर मैंने सहमति दे दी थी। मम्मी गाँव चली गईं थीं। पहले दिन अकेलेपन ने डराया, साथ ही मम्मा का साथ न होना, मुझे नहीं भाया था। फिर उन्हीं के दिए उपाय करते हुए, मैं कराटे क्लास की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, टीटी बॉल-बैट लेकर क्लब पहुँच गई थी। मम्मी ने गाँव जाने के पहले मेरे टीटी खेलने का महीने भर का शुल्क जमा कर दिया था। मेरी समस्या किस के साथ खेलूँ, यह थी। अब तक मम्मा के साथ ही खेलती रही थी। मेरा गेम अच्छा था इसलिए मैं, पूर्वी को भी नहीं कहना चाहती थी। वह बिगिनर की तरह टीटी खेल पाती थी। उस समय टेबल रूम में स्पर्शा, मेरी दो वर्ष स्कूल सीनियर एवं सोसाइटी के ही दो लड़के थे।
मुझे खेलने आया देखकर, स्पर्शा ने मुझे भी खेलने कहा था। चार प्लेयर होने से हमने डबल्स खेला था। हममें सबसे अच्छा गेम चरण का था। वह शायद स्पर्शा का कजिन था। कुछ देर खेलने के बाद स्पर्शा और दूसरा लड़का अंशुमन चले गए थे। खेलने के लिए मेरे साथ कोई नहीं बच रहा देख कर चरण रुक गया था। उसका मेरा इस तरह से ख्याल करना मुझे अच्छा लगा था। उसका गेम भी अच्छा था अतः मैंने घंटे भर उसके साथ खेला था। मुझे यह अच्छा लगा था कि खेल के बीच उसने, खेल से संबंधित बातें ही कीं थीं। अंत में जब मैं वापस आने लगी तो उसने कहा, मेधा, तुम्हारा गेम तुम्हारी उम्र के हिसाब से अच्छा है। कल अगर हम साथ खेल पाए तो, हम मैच खेलेंगे।
(क्रमशः)