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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Children Stories Inspirational

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Children Stories Inspirational

बालिका मेधा 1.04

बालिका मेधा 1.04

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मम्मा की तीन दिन छुट्टी थी, मेरी तो चल ही रही थी अतः हमने तीनों दिन एक एक घंटे टेनिस खेला था। 

मम्मी के वर्किंग डेज में समय नहीं होता था। एक दिन टीटी न खेल पाने के कारण, मैं अपनी एक फ्रेंड पूर्वी के साथ अपनी सोसाइटी में ही टहल रही थी। तब दो लड़के हमारे पीछे आए थे। मैंने एक बार मुड़ कर उन पर दृष्टि डाली थी। फिर मैं पूर्वी से बात करने लगी थी। इस बीच मुझे लगा कि उनमें से एक लड़का जानबूझकर अधिक ऊँचे स्वर में कह रहा था। वह अपने साथी से कहता हुआ सुनाई पड़ा था - 

क्या यार, तू तो टीटी भी अपनी मम्मी के साथ खेलता है। अब तेरी यह उम्र मम्मी के साथ खेलने की नहीं रही है। अब चल तुझे मेरे साथ खेलना चाहिए। 

प्रत्यक्ष में मैंने अनसुना किया था। मुझे समझ आ गया था कि यह उसने मुझे सुनाने के लिए कहा था। हालांकि पूर्वी ने भी लड़के की बात सुनी थी मगर वह कुछ समझी नहीं थी। मैं बिना उसकी ओर देखे पूर्वी के साथ अगले मोड़ पर मुड़ गई थी। वे दोनों लड़के पहले तो सीधे गए थे, कुछ मिनट बाद फिर हमारे पीछे आने लगे थे। तब मैंने पूर्वी से कहा - 

आज तुम और मैं, मेरे घर पर लूडो खेलते हैं। 

उसने इससे समझ लिया कि मैंने लड़कों से पीछा छुड़ाने के लिए, उसे अपने घर चलने कहा था। मेरे घर तक आने के बाद बाहर ही हमने कुछ मिनट बातें कीं फिर पूर्वी चली गई थी। अब मुझे एक समस्या मिल गई थी, जिस पर मुझे इस वीक एंड मम्मी से बात करनी थी। 

वीक एंड में जब मुझे मम्मी के साथ एकांत का समय मिला तब मैंने यह घटना उन्हें बताई थी। फिर पूछा - मम्मी मैं उस दिन के बाद बाहर नहीं निकली हूँ, यदि वह लड़का आगे भी हमें फॉलो करता है तो मुझे क्या करना चाहिए? 

मम्मी ने कहने के पहले गहरी श्वांस ली फिर कहा - मेधा, स्मरण है मैंने एक दिन तुमसे कहा था, ‘कुछ बड़ी होने पर तुम्हें, तुम्हारी यह सुंदरता कभी कभी बुरी भी लगा करेगी’?

मैंने कहा - जी मम्मी, बल्कि आपसे मेरी इस तरह ट्यूशन, आरंभ ही इसी बात से हुई है। 

मम्मी ने कहा - 

मेरी उस बात की सत्यता का अनुभव, इस एक छोटी घटना ने तुम्हारे अंतर्मन को करा दिया है। यद्यपि तुमने इस रुप में अभी नहीं समझा है। तुम फिर सोचो, यह तुम्हारी सुंदरता ही है जिसने तुम्हें पिछले दो-तीन दिन घर पर ही रह कर सोचने को विवश किया है। वह लड़का तुम्हें सुंदर देख कर ही तुम्हें फॉलो कर रहा है। वह यह भी जानता है कि तुम टीटी मेरे साथ खेलती हो। तुम्हारी निजता में उसके द्वारा यह अनावश्यक हस्तक्षेप तुम्हारी सुंदरता के कारण हो रहा है और तुम्हें इस विषय में मुझसे पूछना पड़ रहा है।  

मैंने कहा - जी मम्मी आपके बताने से अब मैं इसे ऐसा रिलेट करके देख पा रही हूँ। मम्मी मुझे क्या करना चाहिए, बताओ?

मम्मी ने कहा - प्रत्यक्ष में यह दिखाकर कि तुमने उसकी बातों को ध्यान नहीं दिया है, अच्छा किया है। तुम मुझे अब यह बताओ कि वे लड़के कितने बड़े लगते हैं और क्या तुमने पहले कभी उन्हें देखा है?

मैंने याद किया फिर बताया - मुझे नहीं लगता कि मैंने उन्हें इससे पहले कहीं देखा हो। मैंने बहुत गौर से उन्हें देखा नहीं है मुझे लगता है कि वे शायद मेरे जितने ही या मुझसे 1-2 वर्ष बड़े भी हो सकते हैं।  

मम्मी ने कहा - फिर अधिक चिंता करने की बात नहीं है। 12-14 वर्ष के लड़के कोई बड़ी परेशानी नहीं होते हैं। अधिक समस्या जवान हुए असंस्कारी लड़कों से हो सकती है। 

मैंने पूछा - मम्मा क्या मैं बिना भय के बाहर जाना-आना कर सकती हूँ? 

मम्मी ने बताया - हाँ, उनसे अधिक भय खाने की आवश्यकता नहीं है। हाँ यह सावधानी रखना है कि अगर वे फिर तुम्हारा पीछा करते हैं तो तुम्हें उनकी बातों को अनसुनी करना और उनके प्रति उदासीन दिखना है। यह भी प्रदर्शित नहीं होने देना है कि तुम उनसे डर रही हो। 

मैंने पूछा - क्या इससे वे मेरा पीछा करना छोड़ देंगे?

मम्मी ने बताया - हाँ मुझे आशा तो ऐसी ही है। तुमसे कोई भी तरह का रिस्पांस नहीं मिलता देख वे और किसी लड़की को लक्ष्य करने लगेंगे। सुंदर लड़की एक तुम ही नहीं हो, समझी ना?

मैं विचार करती रह गई थी। तब मम्मी ने आगे जोड़ा था - 

मेधा मगर मुझे इस पर संतोष करते नहीं बन पाता है कि कोई तुम्हारा या मेरा, पीछा करना छोड़ देता है। मुझे यह बात खटकती रहती है कि ऐसे लड़के और लोग, (यदि) हमारे नहीं (भी तो/) मगर किसी ना किसी लड़की या युवती के निर्भय होकर जी पाने में चुनौती होते हैं। इनके कारण कोई लड़की सहज रुप से अपनी पढ़ाई-लिखाई, जॉब या बाहर के काम काज नहीं कर पाती है। एक आशंका हमेशा ही उसके अंतर्मन (Intuition) में चलती है। 

अभी छोटी होने से अपनी कम समझ के कारण मैं अपने अतिरिक्त अभी किसी अन्य लड़की के समक्ष ऐसी चुनौतियों की कल्पना नहीं कर पाती थी। अतः मैंने बस सिर हिलाया था। इससे मम्मी समझ गईं थीं, ट्यूशन का यह चैप्टर उन्हें आगे मेरी यह समझने की पात्रता होने पर लेना होगा। उन्होंने आगे कुछ नहीं कह कर फिर पूछा - मेधा, आज टीटी खेलने का विचार है क्या?

मैंने खुश होते हुए सहमति जताई थी। फिर हम खेलने जाने के लिए प्रिपेयर होने लगे थे। क्लब में, हमने एक घंटे के लिए टेबल बुक कराई थी। हमें खेलते हुए 45 मिनट हुए थे तब वही लड़का, बैट लिए हॉल में आकर बैठ गया था एवं ग्लॉस पार्टीशन के बाहर से मुझे और मम्मी को खेलते देखने लगा था। मैंने मम्मी को धीमे स्वर में यह बता दिया था। मम्मी ने खेलते हुए सहज दृष्टि से उसे देख लिया था। 

हमारा स्लॉट खत्म होने पर जब मम्मी और मैं ट्रैकसूट पहन रहे थे तब ग्लॉस डोर खोल कर वह लड़का अचानक मेरे पास आया था। 

(क्रमशः) 


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