जैसे ही वक़्त ने समय के साथ करवट ली , जैसे ही वो बालक धीरे-धीरे दिशाविहीन हो चला। जैसे ही वक़्त ने समय के साथ करवट ली , जैसे ही वो बालक धीरे-धीरे दिशाविहीन हो चला।
मम्मा क्या मैं बिना भय के बाहर जाना-आना कर सकती हूँ? मम्मा क्या मैं बिना भय के बाहर जाना-आना कर सकती हूँ?
एक बार हुआ यूं कि एक व्यक्ति के कंधे पर अनायास ही एक पक्षी आकर बैठ गया। एक बार हुआ यूं कि एक व्यक्ति के कंधे पर अनायास ही एक पक्षी आकर बैठ गया।