जैसे ही वक़्त ने समय के साथ करवट ली , जैसे ही वो बालक धीरे-धीरे दिशाविहीन हो चला। जैसे ही वक़्त ने समय के साथ करवट ली , जैसे ही वो बालक धीरे-धीरे दिशाविहीन हो चला।
ये युवा भी मुझसे जुड़ जाते और बेहद आत्मीय व्यवहार करते। ये युवा भी मुझसे जुड़ जाते और बेहद आत्मीय व्यवहार करते।
हर साल ने अनगिनत यादें और उम्मीदों से आस जोड़ ली थी दादा जी ने, हर साल ने अनगिनत यादें और उम्मीदों से आस जोड़ ली थी दादा जी ने,