अनाज की कीमत
अनाज की कीमत
आज अंकित की परीक्षा का अंतिम दिन था। अतः शाम को बदलाव के लिए अंकित अपने माता पिता के साथ बाहर खाना खाने के लिए गया । रास्ते में बहुत अधिक ट्रैफिक जाम होने के कारण गाड़ी बार-बार रुक रही थी। जिसके कारण कई भूखे बच्चे व बड़े कार की खिड़की के पास आकर बार-बार खाना व पैसे मांग रहे थे यह नजारा अंकित को काफी उद्वेलित कर रहा था।
होटल पहुंचकर अंकित के मनपसंद खाने को ही मंगाया गया खाना खाते समय होटल की खूबसूरती निहारते निहारते अचानक अंकित की दृष्टि एक टेबल पर जा रूकी और फिर आसपास की और भी कई मेजों पर उसका ध्यान गया।
और ध्यान ऐसा गया कि फ़िर उसकी आंखें वहां से हटी ही नहीं। बहुत ज्यादा मात्रा में खाना बुलाया जा रहा था और कुछ मेज़ों पर तो लोग बहुत सा खाना यूं ही छोड़कर जा रहे थे। यह सब देखकर अंकित की आंखों के सामने उन भूखे बच्चों की तस्वीर घूमने लगी बिना संकोच किए अपना खाना खत्म कर उसने एक खाली थाली ली और लगभग सभी मेज़ों पर जाकर पात्रों में रखा खाना थाली में डाला और रेस्टोरेंट से बाहर की ओर चल पड़ा,
यह नजारा देख लोग विभिन्न भावों से अंकित की ओर देखते रहे। कोई घृणित, तो कोई प्रश्नवाचक चिह्न के साथ ,तो कोई असमंजस्य के भाव लिए।
जब कुछ समय बाद भी अंकित अंदर नहीं आया तो कुछ लोग उत्सुकतावश बाहर आए और वहीं मौन खड़े रह गए।
अब सबकी आंखों में एक ही भाव था और वह था ग्लानि का भाव क्योंकि अंकित बाहर खड़े भूखे बच्चों को खाना खिला रहा था। उस भीड़ में होटल के मालिक भी थे जो यह देख बहुत ही प्रभावित हुए और उन्होंने अंकित से कहा निश्चित रूप से अब मैं इसका ध्यान रखूंगा कि कोई भी ग्राहक आवश्यकता से ज्यादा खाना ना ले और
फिर भी अगर आवश्यकता से अधिक खाना रसोई घर में बनता है तो इसके लिए मैं पास के एनजीओ से संपर्क करूंगा। अंकित के माता-पिता अपने बच्चे की मानसिक परिपक्वता को देख बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे थे ।
अगर हर व्यक्ति अंकित बन जाए तो देश से सारी समस्याओं का समूल पतन हो जाएगा और फिर हम गर्व से कह पाएंगे सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।