अहंकार का नाग
अहंकार का नाग
सविता की आज तबीयत बहुत खराब थी। जैसे तैसे करके ऑफिस का काम निपटाया और घर पहुंची और जाते ही अपने कमरे में जाकर लेट गई।
सासू मां ने जब उसे खाना बनाने को कहा तो उसने कहा कि मां आज मेरी तबीयत खराब है , मैं नहीं बना पाऊंगी इसलिए या तो आप सादी सी खिचड़ी बना लो या बाहर से मंगवा लेंगे।
मां को तो मिर्ची सी लग गई पर उन्होंने सविता को कुछ नहीं बोला और आते ही विशु के कान भरे,"आज महारानी ने ऑफिस से आकर खाना नहीं बनाया। अगर आज कुछ ना किया तो सिर चढ़ जाएगी,ऐसे ही नौकरी का रौब दिखाया करेगी।
हालांकि दोनों को पता था कि बहू बीमार है लेकिन बहू तो बहू होती है,काम करना उसका फ़र्ज़ होता है। ये सोच पुरुष होने के अहंकार में विशु उसे अक्ल सिखाने कमरे कि तरफ बढ़ा वैसे ही उसे सविता की पिछली वार्निंग याद आ गई,अगली बार मां के भड़काने पर मुझे तंग करोगे तो नौकरी छोड़ दूंगी।
अहंकार का नाग अब अपने फन समेटकर मां को समझाने में लग गया था।
