"अधूरे ख़्वाब"
"अधूरे ख़्वाब"
ये बात उन दिनों की है जब हम नये -नये स्कूल की पढाई पूरी के ,कॉलेज मैं कदम रखा था ,आज से 40 साल पहले लड़कियाँ इतनी एजुकेटेड नहीं क्या ? हमारे ज़माने मैं चलन ही नहीं था।हम जैसे ग्रेजुएट हो गए भाई के साथ जा कर चुपचाप से एम्पलमेंट आफिस में रजिस्टेशन करवा दिया भाई ने घर हम दोनों बहन-भाई ने किसी को नहीं बताया के जॉब के लिए लेटर आ गया मुझे "महिला बाल विकास अधिकारी" पोस्ट के लिए ज्वाईनिंग देना था अब दोनों भाई, बहन परेशान के घर मैं कैसे बताएं ,भाई बड़े थे उन्होंने कहा मैं बात करता हुँ सबसे ,डर ये था हम मुस्लिम परिवार से थे जहाँ लड़कियों को कम उम्र मैं शादी और बुर्का पहना दिया जाता है । मुझे भी बुर्का पहनने पर दबाव ड़ाला गया था, रो धो कर बुर्का से मुझे छूट मिल गई थी , पापा का इंतिकाल हो गया था ।अम्मी थी और बढ़े भाई थे जैसे मालूम पड़ा घर मैं कि मैं जॉब करना चाहती हूँ ,तो कोहराम मच गया सब घर के लोग ऐसी निगहा देख ने लगे जैसे हम दोनों भाई-बहन ने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया ,बड़े भाई साहब के सामने हमारी क्लास लग गई ,हम-दोनों भाई, बहन से पूछा गया कि वो अपाईमेंट लेटर कहाँ है ज़रा दिखाओ मेरे से बड़े भाई ने झट से निकाल कर दिखा दिया भाई साहब ने सुकून से पढ़ा और उसके टुकड़े-टुकड़े कर के फेंक दिया ,,आगे के लिए चेतावनी दी के बिना इजाज़त ऐसे कोई हरकत मै अम्मीं के सामने रोई, ख़ुब मिन्नतें की लेकिन किसी पर कोई असर न हुआ हम दोनों बहन-भाई ख़ामोश हो गए ,यहां तक कहा जब तक शादी की तारीख़ नहीं हो जाती इतने महीने या साल तो मुझे जॉब करने दीजिए उनका कहना था कि तुम्हारे सुसराल में तुम्हारी जॉब करने की ख़बर पहुंच जाएगी एक बार को तो मैं"बागी"भी होना चाह पर अम्मीं की मासूम चेहरा और भाईयों का ख़्याल आया की मेरी ज़रा सी ग़लत हरकत उन लोगों को कोई परेशानी में न डाल दे ....उस वक़्त कि नज़ाकत देखते हुए सब्र ही करना ठीक लगा.....भाई ने कुछ दिनो बाद मुझे प्यार से समझा या हमने जिस लड़के से तुम्हारी सगाई कि है वह क्लास टू आफिसर्स है उसका कहना है कि मैं पढ़ी लिखी लड़की तो चाहता हूँ लेकिन हाउस वाइफ .....हमारी पहली सैलरी आँसूओं में बह गई शादी के बाद तो तौबा कर ली नौकरी से।