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आस्था

आस्था

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अर्पिता जैसे ही मंदिर से बाहर निकली तो सामने से नीलू आंटी आते दिखी। कई दिनों से नीलू आंटी के विषय में लोगो से सुनती आ रही थी कि कैसे नीलू आंटी के सबसे छोटे बेटे ने अपनी पत्नी की बातों में आकर आधी रात को उन्हें अपने घर से निकाल दिया था। कहने को तो नीलू आंटी के चार बच्चे थे तीन बेटे, एक बेटी लेकिन पति के मौत के बाद सभी बेटो ने एक - एक कर के अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और उन्हें सारे प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया। नीलू आंटी की बेटी ने उन्हें अपने घर में रखना चाहा तो उसके पति ने यह कहते हुए मना कर दिया कि सारी प्रॉपर्टी तो तुम्हारे भाइयों को मिल रही मुझे नहीं तो तुम्हारी मांँ को भी तुम्हारे भाइयों के पास ही रहना चाहिए।

ऐसे में नीलू आंटी ने बहुत हिम्मत से काम लिया, बेटो का घर छोड़ दिया। आज 2-3 घरों में खाना बनाने का काम करती है और किराए का घर लेकर उसी में रहती है।

नीलू आंटी को देखते ही अर्पिता ने झुक कर उनके पैर छुए और उनसे कहा -

"आंटी, कैसी है आप ?"

"मैं ठीक हूँ बेटी। बहुत दिनों बाद दिखी सब ठीक है ना ?"

"हांँ आंटी, सब ठीक। बच्चों के एग्जाम खत्म हो गए थे तो मैं अपनी मम्मी के घर चली गई थी।आज ही वापस आयी तो सोचा मंदिर में भगवान जी के दर्शन कर लूंँ।"

"बेटी, यह तो तुमने बहुत अच्छा किया। भगवान के आशीर्वाद से सब कुछ अच्छा होता है।"

"आंटी, अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं?

हांँ बेटी जरूर पूछ सकती हो।"

"आपके साथ इतना कुछ बुरा हुआ, फिर भी आप इतना पॉजिटिवली कैसे सोच लेती है ? अपने जीवन में इतना कुछ बर्दास्त करने के बाद भी भगवान पर इतना विश्वास करती है आखिर क्यों ?"

"देखो बेटा, अच्छा सोचने से हमेशा जीवन में अच्छा ही होता है इसलिए हमेशा अपने और अपने से जुड़े लोगों के बारे में अच्छा ही सोचना चाहिए। जहांँ तक रही बात भगवान की तो उन्होंने हर मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया, उनके घर के दरवाजे मेरे लिए आधी रात को भी खुले हुए थे। वैसे देखा जाए तो भगवान से भी मेरा भक्त का रिश्ता है जो आज भी चल रहा है जबकि सारे रिश्ते अपना दम तोड़ चुके है।

यह कह कर मुस्कुराते हुए नीलू आंटी मंदिर में चल गई।


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