Dr. Hafeez Uddin Ahmed Kirmani

Others

4  

Dr. Hafeez Uddin Ahmed Kirmani

Others

13 जून 2021

13 जून 2021

6 mins
307



आज रविवार है इसलिए मैंने सौरभ को बहुत जल्दी बुला लिया था। सवेरे का नाश्ता उसने मेरे साथ किया। नाश्ता लगाने, चाए पानी आदि लाने ले जाने का काम सीमा ही कर रही थी।

सीमा के जाने के बाद सौरभ ने कहा, "यार, सीमा की शादी अनुभव से क्यों नहीं कर देते। उसमें क्या कमी है?"

"कोई कमी नहीं है सिवाए इसके कि उनकी आयु में सात वर्ष का अंतर है।

"पुरुष के लिए सात वर्ष का अंतर कोई अंतर नहीं होता है। अनुष्का भाभी और तुम में भी तो सात वर्ष का अंतर है। क्या तुम लोगों को कोई परेशानी है?

"बहुत से लोग जो ग़लती करते हैं वही तुम भी कर रहे हो। जब विवाह की बात चलती है तो लोग सबसे पहले शारीरिक सामंजस्य देखते हैं, उसके बाद स्वभाव और अन्य बातों का मिलान करते हैं। जहां तक शारीरिक सामंजस्य का प्रश्न हैं लड़के का सात वर्ष बड़ा होना लड़की के शारीरिक सुख को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करता है। किन्तु आयु का यह अंतर दोनों की सोच में बड़ा अंतर ला देता है।"

"पति-पत्नि के बीच दृष्टिकोण का अंतर तो बराबर आयु वालों में भी होता है।"

"मैं उस अंतर की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं विचारों में आने वाली परिपक्वता की बात कर रहा हूँ। वाटर-पार्क में बीस वर्ष की पत्नी की धमा-चौकड़ी में तीस वर्ष का पति साथ नहीं दे पाता है। इसका कारण शारीरिक शक्ति नहीं अपितु सोच की परिपक्वता होती है। एक दूसरे का मन रखने के लिए और कभी कभी दिखावे के लिए, वह एक दूसरे की इच्छा पूरी करते हैं लेकिन वह यह सब मानसिक तनाव के साथ करते हैं।

"आयु के साथ यह अंतर समाप्त हो जाता है।"

"वह मजबूरी का समझौता होता है।"

"सीमा और अनुभव का विरोध करने का बस यही कारण है?

"आयु का अंतर मुख्य कारण नहीं है। विरोध का मूल कारण कुछ और ही है।"

"क्या कारण है?

"सौरभ तुम्हारा छोटा भाई है। तुम से क्या छुपा है?

"मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पा रहा हूँ।"

"मुझे अनुभव पर विश्वास नहीं है। अनुष्का के साथ उसकी मित्रता मेरी समझ में नहीं आती है और यह बात तुमसे भी नहीं छुपी होगी।"

"मैं दोनों को बहुत खुल कर बात-चीत करते देखा है लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनके बीच कोई उलटी सीधी बात है।"

"मैं नहीं चाहता की मेरा संदेह सच निकले। संदेह का सच निकलना मेरे लिए अपमान और दुख की बात होगी।"

"ऐसा सोचने के लिए तुम्हारे पास कोई ठोस सुबूत है?"

"कोई भी चित्र पिक्सेलस् से मिलकर बनता है। अभी पिक्सेल एकत्र हो रहे हैं। जब चित्र बन जाएगा तो तुम्हें दिखा दूंगा।"

"लेकिन चित्र तो वैसा ही बनेगा जैसे के तुम पिक्सेल रखोगे।"

"मैं तुम्हें पिक्सेल दे दूंगा चित्र तुम ही बना लेना."

"ऐसा सोच कर तुम भाभी के प्रेम और वफ़ादारी पर शक कर रहे हो।

"तुम वफ़ादारी से क्या समझते हो?"

"दूसरे को दिए गए वचन को निभाना वफ़ादारी है।"

"और हम किसी को वचन कब देते हैं।"

"जब हमें किसी भावात्मक या सांसारिक आवश्यकता के कारण किसी से सम्बद्ध होना पड़ता है।"

"तुमने अपने प्रश्न का उत्तर स्वयं दे दिया। जब यह दोनों आवश्यकताएं हीं नहीं रहीं तो वफ़ादारी कैसी?"

"तुम्हारे अनुसार भाभी भरोसेमंद और ईमानदार नहीं हैं।"

"अभी मैं निश्चितता के साथ यह बात नहीं कह सकता। किन्तु जो वफ़ादार नहीं वह ईमानदार कैसे हो सकता है? "ग़ालिब ने वफ़ादारी और ईमानदारी के संबंध को एक शेर में बड़ी सुंदरता से बताया है। शेर की पहली पंक्ति में कहते हैं: 'वफ़ादारी ब शर्त-ए-इस्तवारी असल ईमाँ है' इसका अर्थ है की दृढ़ता एवं निरन्तरता के साथ निभाई जाने वाली वफ़ादारी ही सच्ची ईमानदारी है।

"पत्नियों की वफ़ादारी चिरकाल से मान्य है। इतनी मान्य की इसके लिए पतिव्रता शब्द की उत्पत्ति हो गई।"

"प्राचीन काल में स्त्रियाँ नैतिक कारणों से नहीं अपितु शुद्ध आर्थिक कारणों से पतिव्रता होती थीं। उस समय पत्नी पूरी तरह से पति पर निर्भर रहती थी। घर में डोली आती थी और अर्थी निकलती थी। वह जानती थी कि अगर उसके पति ने उसे छोड़ दिया तो पिता भी उसको शरण नहीं देगा। इन परिस्थितियों में उसके पास पतिव्रता होने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं था। जिन्हें बेवफाई का अवसर मिलता था वह बेवफाई भी करती थीं। अलिफ़लैला की कथाएं देखलो।"

"वह सब कहानियों की बातें हैं।"

"साहित्य समाज का दर्पण होता है। वह कितना ही काल्पनिक क्यों न हो, समाज को प्रतिबिंबित किए बिना नहीं रह सकता है।"

दोपहर को अनुष्का और अनुभव कानपुर से वापस आ गए। सीमा सीधे मेरे पास आई। मेरा हाल चाल पूछा। अपने पापा के बारे में बताया कि वह अब घर आ गए हैं। मैंने उससे कहा कि तुम्हें कुछ दिन और रुक जाना चाहिए था। मेरे पूछने पर कि अनुभव कहाँ है, उसने बताया कि वह भाभी से मिलने गया है। कहने की बात नहीं वह भाभी के बहाने सीमा से मिलने गया था। मैंने उससे भी भाभी से मिल आने के लिए कहा। इससे पहले कि वह बाहर जाती, ममता भाभी अनुभव को लेकर मेरे कमरे मैं आ गईं। संभवतः वह नहीं चाहती होंगी कि अनुभव देर तक सीमा से बात करे।

जब अनुभव मेरा हाल चाल पूछ चुका तो मैंने कहा, "तुम्हारे जाने से सब को बड़ी मदद मिली होगी?"

"मैंने तो कोई विशेष सहायता नहीं की लेकिन अनुष्का सॉरी अनुष्का भाभी को.....।

मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, "सॉरी कहने की कोई आवश्यकता नहीं। अनुष्का लगभग तुम्हारे बराबर है तुम उसका नाम ले सकते हो।"

अनुष्का बोली, "मैंने भी इसको भय्या कहना छोड़ दिया है। सीधे अनुभव कहती हूँ।"

भाभी कुछ कहने ही वाली थीं कि सीमा चाय समोसा लेकर आ गई।

भाभी ने अनुष्का की बात पर कहा, "अच्छा ही क्या जो तुम लोगों ने भय्या भाभी का रिश्ता ख़त्म कर दिया।"

अनुभव ने वाक पटुता दिखाते हुए ऐसा उत्तर दिया जिसका जो जैसे चाहता वैसा अर्थ निकाल सकता था, "हम लोग एक दूसरे को कुछ भी कह कर पुकारें, हमारा रिश्ता तो वही रहेगा।"

अनुष्का को भी भाभी की बात बहुत ख़राब लगी थी। वह बोली, "रिश्ते शब्दों से नहीं दिलों से बनते हैं।"

सीमा ने अपनी भावनाओं और संदेहों के अनुसार इन बातों के अर्थ निकाले होंगे। उसका चेहरा उतर गया, हाथ काँप गए, किसी प्रकार उसने अपने आँसू रोके, बड़ी मुश्किल से ट्रे रखी और बाहर चली गई। कोई और बात होती तो क्या सीमा दुखी मन से मेरे पास से जा सकती थी? कदापि नहीं।

मैंने कहा, "अनुभव तुम्हारी बात तो अधूरी रह गई। हाँ बताओ क्या कह रहे थे?"

"मैं कह रहा था कि मैंने कुछ विशेष नहीं किया। हाँ अनुष्का ने अवश्य रात रात भर जाग कर अपने पापा और मम्मी की सेवा की।"

अनुष्का ने कहा, "मम्मी आप को बताएंगी कि अनुभव ने कितनी दौड़ भाग की है। मम्मी कहती हैं कि अनुभव ने अनुज भय्या की कमी नहीं खलने दी।"

थोड़ी देर बाद अनुभव अपने घर चला गया। मैं सोचने लगा की अगर इनके मन में कोई बात होती तो यह लोग मेरे सामने इतना निडर होकर बात न करते। इतने ढीट नहीं हो सकते हैं। मेरा मन साफ़ हो गया।

थोड़ी देर बाद मैं सीमा के पास गया। उससे खूब बातें कीं। हम लोग खूब हँसे। सीमा ने ही कहा भय्या आप बहुत हंस रहे हैं। कहीं आप की तबियत न खराब हो जाए। डॉक्टर ने आप को झटकों से बचने के लिए मना किया है।

रात को अनुष्का बहुत देर मेरे पास बैठी। लेकिन मैंने उसे अपने कमरे में सोने न दिया। सीमा ने बताया कि भाभी को आश्चर्य हो रहा था की मैं अलग क्यों सो रही हूँ हम लोग उन्हें कैसे बताते की डॉक्टर ने मुझे संयम बरतने के लिए कहा है।

अंत भला तो सब भला। आज का दिन भी अच्छा गुज़रा।  


Rate this content
Log in