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सब जगह योग्यता तय हों पुरानी पेंशन बहाल हों आँसू आँख ख्वाहिशें बुलन्द पूरी हों हौसले जिनके पास नहीं हों आँसू राजनीतिज्ञों कि खलास हों जिनके सोमवार हिन्दीकविता हम हों सबकी कैसे हों हमारे दिन व्यर्थ 52weeks writing challenge sswc

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