सभका भरता पेट, नसीब फेर बी माड़ा। रहै पूर म्ह राख, रातभर मारै जाड़ा। सभका भरता पेट, नसीब फेर बी माड़ा। रहै पूर म्ह राख, रातभर मारै जाड़ा।
आंखें तेरी बड़ी नशीली भरमाती मुझे दिन रैन है आंखें तेरी बड़ी नशीली भरमाती मुझे दिन रैन है
और सो जाती है धरती में बीज बन कर पुनः प्रस्फुटित हो, उत्सव मानने को। और सो जाती है धरती में बीज बन कर पुनः प्रस्फुटित हो, उत्सव मानने को।
जो ना हो तो पलकें, दिन रैन बरसतीं जरूरत है तेरी, अब साँसों को मेरी जो ना हो तो पलकें, दिन रैन बरसतीं जरूरत है तेरी, अब साँसों को मेरी