तुम्हारे दूर जाते ही खारी-खारी, बूंदें भी जैसे लुप्त हो जाती है, ठीक उस तरह; जैसे सूरज के अवसान पर, ... तुम्हारे दूर जाते ही खारी-खारी, बूंदें भी जैसे लुप्त हो जाती है, ठीक उस तरह; जैस...
अतृप्त ख्वाब, झूठे वादे और अश्कों से आंखें पुरनम, ये जीवन की मृगतृष्णा भी है, झूठ और सच का संगम। अतृप्त ख्वाब, झूठे वादे और अश्कों से आंखें पुरनम, ये जीवन की मृगतृष्णा भी है, झ...