चाहकर भी मौत अब न मांगता । ज़िन्दगी अब जिम्मेदारी हो गई है।। चाहकर भी मौत अब न मांगता । ज़िन्दगी अब जिम्मेदारी हो गई है।।
सूरत में उसकी नूर है इतना ए चाँद तू भी शरमाएगा सूरत में उसकी नूर है इतना ए चाँद तू भी शरमाएगा
तू बन जा मंजिल मेरी तब अलग बात हैं तू बन जा मंजिल मेरी तब अलग बात हैं