फ़ज़ाओं में बहार थी, रंगीनियाँ तो बिखरी थीं हर तरफ़... दिखा नहीं या देखा ही नहीं, यह तो बस तुम जान... फ़ज़ाओं में बहार थी, रंगीनियाँ तो बिखरी थीं हर तरफ़... दिखा नहीं या देखा ही नह...
हमारा जीवन डूबती नईया उनके इशारों पर ता ता थैय्या सच झूठ कि पहचान नहीं हमारा जीवन डूबती नईया उनके इशारों पर ता ता थैय्या सच झूठ कि पहचान नहीं
ज़िन्दगी के दर्द को कोई क्या जाने, बस केवल मुस्कुराकर दिखा देते हैं। ज़िन्दगी के दर्द को कोई क्या जाने, बस केवल मुस्कुराकर दिखा देते हैं।