ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा


जी पाए कभी या जिया नहीं, यह तो बस तुम जानो !
कुछ हुआ नहीं या किया नहीं, यह तो बस तुम जानो !!
मक़सद बस इतना सा था कि सब मिलकर साथ चलें
तुम भटक गए या चले नहीं, यह तो बस तुम जानो !
फ़ज़ाओं में बहार थी, रंगीनियाँ तो बिखरी थीं हर तरफ़
दिखा नहीं या देखा ही नहीं, यह तो बस तुम जानो !
ढूंढे से ख़ुदा भी मिलता है, वो तो फ़क़त एक शख़्स था
मिला नहीं या ढूँढा ही नहीं, यह तो बस तुम जानो !
यह जो इश्क़ की शराब है, सर चढ़ कर बोला करती है
तुम्हें चढ़ी नहीं या पी ही नहीं, यह तो बस तुम जानो !
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी एक बड़ी दिलचस्प किताब है
समझे ही नहीं या पढ़ी नहीं, यह तो बस तुम जानो !!